कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी गुणी क्यों न हो, हमेशा सुर्खियों में नहीं बना रह सकता. एक न एक दिन उसे नेपथ्य में जाना ही होता है. कभी हर जुबान पर रहने वाले योग गुरू बाबा रामदेव भी ह्वाट्सअप गुरुओं के आने के बाद ठंडे बस्ते में चले गये थे. पर एक बयान के बाद वे फिर से सुर्खियों में हैं. एक कार्यक्रम में उनके मुंह से निकल गया कि महिलाएं सादे वस्त्र में अच्छी लगती हैं. महिला साड़ी में हो, सलवार सूट में हो या फिर बाबा जैसे कुछ भी न पहने, तब भी अच्छी लगती हैं. यह एक टीआरपी स्टेटमेंट था. जाहिर है लोगों को मजा भी खूब आया होगा. जब योग केवल काया को सुडौल बनाने की दिशा में आगे बढ़े तो इस तरह की टिप्पणी करना तो बनता ही है. बाबा की एक-एक बात को लोग गौर से सुनते हैं, इसका पता तब लगा जब उनकी इस टिप्पणी पर बवाल मच गया. विभिन्न महिला संगठनों ने इसपर आपत्ति जताते हुए इसे महिलाओं का अपमान बताया. हालांकि, इस पर बहस हो सकती है कि किसी को हर रूप में सुन्दर कहना उसका अपमान है या नहीं पर बाबा ने एक ईमेल भेजकर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग से माफी मांगी ली. उन्होंने कहा कि उनके वक्तव्य को गलत ढंग से पेश किया गया है. अब बाबा को पता चलेगा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले 8-10 साल से किस दर्द के साथ जी रहे हैं. टीआरपी मीडिया के इस दौर में संपादन दुष्टबुद्धि के साथ किया जाता है. पत्रकारिता का दौर कबका समाप्त हो चुका है. पत्रकार भूलचूक को माफ कर वक्तव्य के मूल आशय पर फोकस करते थे. अब बाबा हाल दुहाई दे रहे हैं कि वे हमेशा महिलाओं को सभी क्षेत्रों में सम्मान दिलाते आए हैं. उन्हें समानता दिलाने के हक में वैश्विक स्तर पर अभियान चलाया है. पर कोई सुनने वाला हो, तब तो. भाजपा के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि बाबा रामदेव को महर्षि पतंजलि का श्राप लग गया है. उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि के नाम पर एक से बढ़कर एक घटिया सामान बेचकर बाबा रामदेव की कंपनी ने महर्षि का दिल दुखाया है. इसलिए उन्हें महर्षि का श्राप लग गया है. इसलिए उनके मुंह से अब कुछ भी निकल रहा है. वैसे बाबा रामदेव चाहें तो अब भी कह सकते हैं. – “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी”. अर्थात बाबा कहना चाहते थे कि महिलाएं साध्वी वेश में भी अच्छी लगती हैं. जिनका मन पवित्र था, उनके मन में देवियों के चित्र आए होंगे. पर पवित्र मन वाले अब लोग ही कितने रह गए हैं. बाबा की टिप्पणी में किसी को ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ की जीनत या ‘राम तेरी गंगा…’ की मंदाकिनी दिखे, तो इसका दोष बाबा को तो नहीं दिया जा सकता.