भिलाई. एक 69 वर्षीय महिला की पित्त नली से ईआरसीपी द्वारा दो चम्मच से भी ज्यादा छोटी-छोटी पथरियों को निकाला गया. महिला का गॉल ब्लैडर छह साल पहले ही निकाल दिया गया था. पिछले कुछ समय से भोजन के बाद उसके पेट में दर्द हो रहा था. मरीज को पीलिया भी था. जांच करने पर यह पथरियों का एक गुच्छा निकला जो पित्त की नली को लगभग ब्लाक कर चुका था.
हाइटेक हॉस्पिटल के गैस्ट्रो विशेषज्ञ डॉ आशीष चंद देवांगन ने बताया कि आपका लिवर भोजन को पचाने में सहायक पाचन रस को तैयार करता है. यह रस एक थैली में इकट्ठा होता है जिसे पित्त की थैली कहते हैं. कभी कभी इसमें क्रिस्टल बनने लगते हैं जो पित्त की थैली में इकट्ठा होते रहते हैं. अकसर से चुपचाप पड़े रहते हैं जिसे किसी इलाज की जरूरत नहीं होती. पर जब पित्ताशय की पथरी निकलकर पित्त की नली में अटक जाती है तो असहनीय पीड़ा होती है. रोगी को उलटियां हो सकती हैं, पीलिया हो सकता है. ऐसे में पित्त की थैली को पत्थरों समेत निकाल दिया जाता है. इस महिला की पित्त की थैली को भी छह साल पहले निकाल दिया गया था.
उन्होंने बताया कि मरीज को जब हाईटेक लाया गया तो उनमें पीलिया के लक्षण दिखाई देने लगे थे. उसे पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द की शिकायत भी थी. एन्डोस्कोप द्वारा महिला की ईआरसीपी की गई तो उनकी पित्त नली में पथरी के ढेर सारे छोटे-छोटे टुकड़े दिखाई दिये. सभी टुकड़ों को किस्तों में निकाल दिया गया. चार-पांच बार में लगभग दो चम्मच पथरियां निकाल दी गईं. मरीज को तत्काल ही आराम होने लगा और अब पीलिया भी कम हो रहा है. उन्होंने बताया कि जिनकी पित्त की थैली निकली जा चुकी है उन्हें बीच बीच में अपनी जांच पेट के डाक्टर से करवाते रहना चाहिए. यह उनके लिए भी जरूरी है जिनके परिवार में पथरी की हिस्ट्री हो.