जगदलपुर. गोधन न्याय योजना का अगला चरण बस्तर संभाग से शुरू हो रहा है. यहां 500 किलो गोबर और 100 लीटर पानी से प्रतिदिन 10 किलोवाट बिजली बनाई जाएगी. राज्य सरकार ने इसके लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च सेन्टर बार्क से करार किया है. यही नहीं, बस्तर में कचरे से पाली एथिलीन और पाली प्रोपेलिन की गोलियां तैयार की जाएगी. इसके लिए विक्रम साराभाई – सेंटर फॉर इनवायरनमेंट एजुकेशन के साथ अनुबंध किया गया है.
महान वैज्ञानिक डा. होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के नाम से जुड़ी ये दोनों संस्थाएं एक ही समय पर बस्तर में काम कर रही होंगी. ये दोनों आपस में गहरे मित्र थे. इनके नाम पर एक फिल्म भी आई थी “रॉकेट बायज”. भारत को परमाणु शक्ति बनाने में डा. होमी भाभा और विक्रम साराभाई ने मिलकर काम किया था. साराभाई के सान्निध्य में ही डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल मैन बने.
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) ट्रांबे और कार्तिकेय साराभाई की संस्था सेंटर फार इनवारमेंट एजुकेशन (सीईई) के तकनीकी मार्गदर्शन में यह काम किया जा रहा है. गोबर से बिजली बनाने के संयंत्र का लोकार्पण 26 जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया.
राज्य सरकार ने गोबर से बिजली बनाने के लिए बार्क से तकनीकी करार किया है. जगदलपुर के डोंगाघाट स्थित संयंत्र में प्रतिदिन 500 किलो गोबर और 100 लीटर पानी से 10 किलोवाट बिजली तैयार होगी, जिससे 40 घरों को रोशन किया जा सकेगा.
वेस्ट टू वेल्थ स्कीम के तहत छग बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथारिटी की ओर से जगदलपुर के अतिरिक्त कुकानार व गीदम में भी संयंत्र बनाए जा रहे हैं. यहां जगदलपुर शहर समेत 114 गांवों के कूड़े को इकट्ठा किया जाएगा. 50 तरह के सूखे कचरे के रिसाइकिल से पाली एथिलीन और पाली प्रोपेलिन की गोलियां तैयार की जाएगी, जिसे उद्योगों को बेचा जाएगा. इसमें 300 लोगों को रोजगार मिलेगा. प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये तक की कमाई होगी. तीन साल के प्रशिक्षण के बाद इस केंद्र को स्थानीय स्व सहायता समूह को सौंप दिया जाएगा.
विक्रम साराभाई पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंतित थे और इस पर काम करना चाह रहे थे तभी 1984 में उनका निधन हो गया. उसी वर्ष उनके बेटे कार्तिकेय साराभाई ने सेंटर फार इनवारमेंट एजुकेशन संस्था की स्थापना की, जो पर्यावरण संरक्षण की परियोजनाओं का संचालन वैश्विक स्तर पर करती है.