सा-रे-गा-मा-पा लिट्ल चैम्पस के बच्चों ने गायकी का वह हुनर दिखाया कि बड़े-बड़े सिंगरों और कम्पोजरों ने भी दांतों तले उंगलियां दबा लीं. आखिर यह कैसे संभव हो रहा था कि ये बच्चे इतनी आसानी से, इतनी जल्दी, बिना किसी रीटेक के एक से बढ़कर एक कठिन गीतों को इतनी सरलता से गा रहे थे. इसका हल ढूंढ निकाला है जर्मनी और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने. इसके पीछे बच्चों के दिमाग का एक केमिकल लोचा है.
बच्चे न केवल जल्दी सीखते हैं बल्कि उसे जीवन भर याद भी रख पाते हैं. वह भी तब, जबकि लगभग हर रोज वो कुछ नया सीख रहे होते हैं. आखिर यह कैसे संभव हो पाता है. इसका जवाब ढूंढ निकाला है जर्मनी के रीजन्सबर्ग विश्वविद्यालय तथा अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने. दरअसल, बच्चों के मस्तिष्क में मौजूद गामा-अमीनोब्यूट्रिक एसिड “गाबा”, इसे संभव बनाता है. इस केमिकल लोचे की वजह से उनका दिमाग किसी उबर-स्पंज की भांति काम करता है जो हर जानकारी को सोख लेता है.
बच्चे इतनी तेजी से कैसे सीख पाते हैं, इसका जवाब वैज्ञानिक काफी अर्से से ढूंढ रहे थे. इसके लिए उन्होंने फंक्शनल एमआरएस नाम की एक न्यूरो इमेजिंग तकनीक का उपयोग किया ताकि बच्चों के विजुअल कार्टेक्स में ‘गामा’ की सांध्रता का पता लगाया जा सके. इसके लिए 8 से 11 साल के 55 बच्चों तथा 18 से 35 वर्ष आयु के 56 वयस्कों को लिया गया. शोध में यह देखा गया कि नए अनुभवों को लेकर व्यस्कों के गामा स्तर में कोई खास उतार चढ़ाव नहीं हुआ जबकि बच्चों में इसका स्तर तेजी से बढ़ता घटता रहा.
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