भिलाई। परीक्षाओं का दौर प्रारंभ होने वाला है. ऐसे में बड़ी संख्या में बच्चों को पाचन संबंधी समस्या पैदा हो जाती है. किसी को भूख नहीं लगती तो किसी को अपच की शिकायत हो जाती है. दरअसल, इसका सीधा संबंध तनाव और उससे निपटने के शरीर के मेकानिज्म से है. तनाव या अवसाद की स्थिति में शरीर कॉर्टिसॉल नामक हार्मोन का स्राव करता है जिसका व्यापक प्रभाव हो सकता है.
हाइटेक के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन ने बताया कि तनाव तीन प्रकार के होते हैं. एक्यूट स्ट्रेस उसे कहते हैं जो थोड़े समय के लिए अत्यधिक तीव्रता लिये होते हैं. लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव क्रानिक स्ट्रेस कहलाता है. किसी हादसे से जुड़ा तनाव ट्रॉमैटिक स्ट्रेस कहलाता है. कॉर्टिसॉल आपके तंत्रिका तंत्र, रोग प्रतिरोधक क्षमता, हृदय और श्वांस से जुड़ी समस्या के अलावा प्रजनन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है. कुछ मामलों में यह अस्थि या मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएं भी पैदा कर सकता है.
दरअसल, कॉर्टिसोल शरीर द्वारा प्रोटीन, फैट्स और कार्ब्स के उपयोग को भी नियंत्रित करता है. यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है. इसके अलावा यह रक्तचाप और रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को भी नियंत्रित करता है. साथ ही यह निद्रा चक्र को भी नियंत्रित करता है.
डॉ देवांगन ने बताया कि अप्रिय घटना के बाद लोग या तो हम उत्तेजित हो जाते हैं, भयभीत हो जाते हैं या फिर अवसाद में चले जाते हैं. इसका सीधा असर पाचन तंत्र पर भी पड़ता है. परीक्षा के दौरान पाचन की समस्या होने पर सबसे पहले अपनी नींद पूरी करने और परीक्षा को लेकर अतिरिक्त तनाव लेने से बचें. समस्या बनी रहने पर चिकित्सक की सलाह लें.