बालोद. छत्तीसगढ़ का एक जिला ऐसा भी है जहां के कम से कम सवा चार हजार लोगों को तीन मीटर की दूरी पर स्थित वस्तुएं ठीक से दिखाई नहीं देतीं. इन सभी को मोतियाबिंद है. इन सभी की उम्र 40 से 85 साल के बीच है. इनमें से 325 मरीज ऐसे हैं जिनकी दोनों आखों में मोतियाबिंद है. 3,763 मरीज ऐसे हैं, जिनको एक आंख से दिख रहा है लेकिन दूसरी आंख कमजोर है.
यह खुलासा 5 ब्लॉक में स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में हुआ है. विभाग के अनुसार फ्री में मोतियाबिंद ऑपरेशन कर आंख के लेंस को बदलने की प्रक्रिया चल रही है. जो भी मोतियाबिंद से पीड़ित है, उनका सरकारी व पंजीकृत निजी अस्पतालों में फ्री में ऑपरेशन किया जाएगा. डौंडी बीएमओ डॉ. विजय ठाकुर ने बताया कि विभागीय टीम हर साल मोतियाबिंद मरीजों की पहचान करती है.
ऐसे करें आंखों की सुरक्षा
गांव में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में हैलोजन लाइटों का खूब प्रयोग किया जाता है. हैलोजन आंखों के लिए घातक है. कुछ लोगों में जन्मजात विकृतियां होती हैं. इसके अलावा टीवी, मोबाइल स्क्रीन की रोशनी भी आंख के लिए घातक है. इनका सीमित और युक्तियुक्त उपयोग किया जाना चाहिए. मोतियाबिंद किसी भी उम्र में हो सकती है. छोटी-छोटी लापरवाही, सही समय पर चेकअप न कराना, देरी करना ही आंखें कमजोर या खराब होने की वजह बन रही है. वहीं सीएमएचओ डॉ. जेएल उइके, सहायक नोडल अधिकारी अनिल सिन्हा ने बताया कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाना जरूरी है. मोतियाबिंद वाली आंखों में बार-बार ड्राप डालना नुकसानदायक हो सकता है. ऑपरेशन में देर होने पर लेंस पक कर फूट जाता है और ऑपरेशन की संभावना लगभग खत्म हो जाती है.
Display pic courtesy Indian Express