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छत्तीसगढ़ में हर साल बन सकती हैं दो-तीन दवाइयां – डॉ एमके वर्मा

Nov 29, 2023
Pharmacy week observed in MJ College

भिलाई। छत्तीसगढ़ में भी प्रतिवर्ष दो-तीन दवाइयां विकसित की जा सकती हैं. तमाम फार्मेसी कालेज, फैकल्टीज, स्कॉलर्स इस दिशा में प्रयास कर सकते हैं. विवि इसमें भरपूर सहयोग करेगा. उक्त बातें छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एमके वर्मा ने कहीं. वे एमजे कालेज में आयोजित फार्मेसी सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.

मुख्य अतिथि की आसंदी से विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विवि के पास उत्कृष्ट अधोसंरचना है. इसके अलावा सभी फार्मेसी महाविद्यालयों में उपलब्ध अधोसंरचना एवं सुविधाओं को आपस में साझा करने की नीति तैयार की जा रही है. केन्द्र सरकार के सेन्टर ऑफ एन्टरप्रीनोरशिप सेटअप के लिए 12 करोड़ रुपए उपलब्ध हैं. इसमें केन्द्र, राज्य एवं विश्वविद्यालय की साझेदारी है. इसके साथ ही विवि का बिजनेस इन्क्यूबेशन सेन्टर भी नए प्रोडक्ट्स को डिजाइन और डेवलप करने तथा उसके विपणन में सहभागिता करने के लिए तैयार है.

कुलपति ने शोधार्थियों से कहा कि वे बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने की बजाय कॉम्प्लिमेंटरी मेडिसिन्स की तरफ बढ़ें. इससे टकराव कम होगा और आगे बढ़ने का मौका भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सुगंधित और औषधीय गुणों वाले पौधों का अम्बार है. तुलसी के पौधे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज भी इसके कई औषधीय गुणों के बारे में बहुत कम जानकारी है. उन्होंने कहा कि यदि सोच सही दिशा में होगी तो इसके परिणाम आकर रहते हैं.

डॉ वर्मा ने कहा कि दुनिया भर में दवाइयों का व्यवसाय एक विशाल नेटवर्क द्वारा संचालित है. यह लॉबी इतनी शक्तिशाली है कि यह विभिन्न देशों की सरकारों के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन की नीतियों को भी प्रभावित करती है. भारत में बनी दवाइयों को जहां अप्रूवल नहीं मिल पाता वहीं विदेशों में बैन दवाइयां हमारे यहां डम्प कर दी जाती हैं. उन्होंने कहा कि इसे समझने के लिए “वैक्सीन वार” फिल्म सभी को देखना चाहिए. उन्होंने महाविद्यालय से इस मूवी के सामूहिक स्रीनिंग की व्यवस्था करना का आग्रह भी किया.

डॉ वर्मा ने कहा कि हर बात क्लास रूम में सिखाई और समझाई नहीं जा सकती. कुछ बातों का पता फील्ड में जाने पर ही हो पाता है. इसलिए विद्यार्थी अपने परिवेष से भी सीखने का प्रयत्न करें. इसके लिए एनएसएस कैम्पों का भरपूर फायदा उठाएं. लोगों के बीच जाकर ही उनकी जरूरतों, अपेक्षाओं और दिक्कतों की बेहतर समझ पैदा की जा सकती है.

उन्होंने महाविद्यालय के प्रदर्शन के लिए डायरेक्टर डॉ श्रीलेखा विरुलकर की पूरी टीम को बधाई देने के साथ ही नवपदस्थ प्राचार्य डॉ पंडा के सान्निध्य में महाविद्यालय की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की.

समारोह की विशिष्ट अतिथि एमजे ग्रुप ऑफ एजुकेशन की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने विद्यार्थियों के लिए “वैक्सीन वार” की स्क्रीनिंग की घोषणा की. उन्होंने विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय भ्रमण के लिए आमंत्रित करने पर कुलपति महोदय के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय नई पीढ़ी की जरूरतों के मुताबिक नवोन्मेष कर रहा है जिससे जुड़ना उन्हें लाभान्वित कर सकता है.

आरंभ में नवपदस्थ प्राचार्य प्रो दुर्गा प्रसाद पंडा ने महाविद्यालय के विजन और अपने अनुभवों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि महाविद्यालय शोध पर और नई दवाओं के विकास पर जोर देना चाहता है. इसमें विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन और सहयोग की अपेक्षा है.

कुलपति ने महाविद्यालय के फार्मेसी वीक के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं के साथ ही अकादमिक उपलब्धियों के लिए भी विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया. इस अवसर पर एमजे पीजी कालेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे, उप प्राचार्य डॉ श्वेता भाटिया, एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग के प्राचार्य प्रो. डैनियल तमिल सेलवन, उप प्राचार्य सिजी थॉमस, फार्मेसी कालेज के पंकज सिन्हा, प्रतीक्षा फुलझेले, प्रमिला, सहित तीनों महाविद्यालयों के फैकल्टी, फार्मेसी कालेज के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन नाजनीन अंसारी ने किया.

 

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