भिलाई। हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में एक 82 वर्षीय मरीज की पांच हर्निया की सर्जरी एक ही सिटिंग में की गई. दूरबीन पद्धति (लैप्रोस्कोप) से की गई इस सर्जरी में लगभग डेढ़ घंटे का वक्त लगा. इनमें से दो हर्निया ऐसे थे जिनका पता केवल लैप्रोस्कोप से चल सकता था. जब उदर की भीतरी दीवार के कमजोर होने पर आंतें या अन्य हिस्से उसे फोड़ कर बाहर निकल आते हैं तो उसे हर्निया कहते हैं.
लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि मरीज को पहले भी हर्निया हो चुका था. 15-20 साल पहले हर्निया के लिए उनकी ओपन सर्जरी की गई थी. इस बार जब उन्हें अस्पताल लाया गया था तो वे बाई तरफ दर्द की शिकायत कर रहे थे. पर जांच करने पर उनके शरीर में दोनों तरफ हर्निया का पता चला. इनमें से दो आब्टुरेटर रीजन में थे जहां हर्निया का पता लगाना बहुत कठिन होता है. इसे केवल लैप्रोस्कोप से ही देखा और ठीक किया जा सकता है. आब्टुरेटर हर्निया एक अत्यंत विरल प्रकार की समस्या है जो हर्निया के तमाम मामलों में से सिर्फ आधा या एक प्रतिशत होता है.
डॉ नवील ने बताया कि मरीज के उदर में पांच हर्निया थे. लगभग डेढ़ घंटे में सर्जरी पूरी कर दी गई. लैप्रोस्कोप से ऑपरेशन करने के कारण ही ऑब्टुरेटर हर्निया का भी पता चल गया और साथ-साथ उसका इलाज हो गया. अन्यथा कुछ समय बाद मरीज को दोबारा अस्पताल लाने और फिर से सर्जरी से गुजरना पड़ता. उन्होंने बताया कि आम तौर पर लैप्रोस्कोप को केवल मिनिमल इन्वेसिव तकनीक के रूप में देखा जाता है. पर इसके लाभ इससे कहीं ज्यादा हैं. इससे न केवल पूरी सर्जरी बिना किसी चीरफाड़ या रक्तस्राव के बड़ी सफाई के साथ हो जाता है बल्कि मरीज को बहुत कम समय के लिए अस्पताल में रुकना पड़ता है. इसके साथ ही दूरबीन पद्धति से सर्जरी करने पर उन कोनों तक भी पहुंचा जा सकता है जहां तक सामान्य तौर पर सर्जन की निगाहें नहीं जातीं.