भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में एक लगभग 24 साल के युवक की पेल्विस (पेड़ू) की रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की गई. सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल इस युवक के सिर पर गहरे जख्म थे. कूल्हा खिसक गया था, कलाई, हाथ, पैर में आठ फ्रैक्चर थे. युवक को गंभीर अवस्था में आधी रात को अस्पताल लाया गया था जहां तत्काल उसका इलाज प्रारंभ कर दिया गया. 15 दिन बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
हाईटेक के न्यूरो सर्जन डॉ दीपक बंसल, ऑर्थोपीडिक सर्जन डॉ दीपक सिन्हा एवं जनरल सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा सहित ट्रॉमा टीम ने युवक को बचाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी. सोमनी के पास हुआ यह कार हादसा इतना भीषण था कि युवक सिर से पैर तक जख्मी था. सिर और चेहरे पर चोट के अलावा उसकी कलाईयां, कूल्हा, पेड़ू, टखना चोटिल था. कूल्हे व कलाई में डिस्लोकेशन के अलावा 8 फ्रैक्चर थे.
सबसे बड़ी चुनौती पेल्विस का रीकंस्ट्रक्शन था. पेल्विक हड्डियाँ जांघ की हड्डी के शीर्ष के लिए सॉकेट बनाती हैं और, जांघ की हड्डी के साथ, कूल्हे के जोड़ का निर्माण करती हैं. पेल्विस स्पाइन के आधार पर लिगामेंट द्वारा टेलबोन (सैक्रम) से जुड़ा होता है. कई लिगामेंट इन हड्डियों को संभाले रखते हैं. यह जोड़ टूट कर अलग हो चुका था.
युवक का वजन लगभग 103 किलोग्राम था जिसने सर्जरी को और मुश्किल बना दिया. डॉ नवील शर्मा ने इस सर्जरी के लिए स्पेस क्रिएट किया जबकि डॉ दीपक सिन्हा ने टाइटेनियम प्लेट की मदद से पेल्विस का पुनर्निर्माण किया. इसके साथ ही कूल्हे के जोड़ को भी टाइटेनियम प्लेट की मदद से फिक्स किया गया.
सभी सर्जरी और रिडक्शन के बाद मरीज ने तेजी से स्वास्थ्य लाभ करना शुरू कर दिया. दो सप्ताह बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. डॉ दीपक कुमार सिन्हा ने बताया कि पेल्विस रीकंस्ट्रक्शन एक विरल सर्जरी है जिसकी नौबत बहुत कम आती है. भिलाई के किसी अस्पताल में इस सर्जरी का यह संभवतः पहला या दूसरा मामला है. हाईटेक की ट्रॉमा टीम प्रति माह 50 से अधिक ट्रॉमा केसेस हैण्डल किये हैं जिनमें से 99 प्रतिशत मरीजों को ठीक करने में उसे सफलता मिली है.