समोदा। दुर्ग जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर बसे ग्राम समोदा में फिलहाल एमजे कालेज का राष्ट्रीय सेवा योजना विशेष शिविर चल रहा है. सोमवार को शिविर का पहला दिन था. निर्धारित दैनिक कार्यों के बीच वक्त निकालकर रासेयो कार्यक्रम अधिकारी की टीम ने पूर्व सरपंच एवं जनपद सदस्य गणेशिया बाई देशमुख से मुलाकात की और ग्राम सेवा के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया. गणेशिया देशमुख को अविभाजित मध्यप्रदेश के राज्यपाल एवं तत्कालीन उप राष्ट्रपति ने कुष्ठ मुक्त अभियान में उनके अभिनव योगदान के लिए सम्मानित किया था.
गणेशिया का विवाह अल्पायु में ही हो गया था. ग्राम बोरी से ब्याहकर वे यहां आई थीं. 1990 के दशक में वे केन्द्र प्रवर्तित कुष्ठ उन्मूलन योजना से जुड़ीं. तत्कालीन जिला कलेक्टर विवेक ढांड ने एक अपील जारी की थी कि अपने गांव एवं आसपास में कुष्ठ पीड़ितों की शिनाख्त करें तथा उनकी सूचना कुष्ठ उन्मूलन प्रकोष्ठ को दें ताकि उनका इलाज प्रारंभ किया जा सके. तीन बच्चों की मां गणेशिया इस अभियान में कूद पड़ीं. सिर पर पल्लू रखकर वे घर-घर दस्तक देतीं. कुष्ठ के आरंभिक लक्षण दिखाई देने पर वह उनका नाम लिख लेतीं. इस तरह से उन्होंने 108 लोगों के नामों की सूची कुष्ठ उन्मूलन प्रकोष्ठ को दी. इनमें से केवल 16 ऐसे निकले जिन्हें कुष्ठ नहीं था. महज आठवीं तक पढ़ी गणेशिया समाज में एक बड़े परिवर्तन का सूत्रधार बन गईं.
गणेशिया बताती हैं कि गांव में जागरूकता का स्तर अच्छा था. इसलिए ज्यादा कठिनाई नहीं आई. हालांकि बहुत से लोग इसे अभिशाप मानते थे. ऐसे लोगों का मानना था कि कुष्ठ ठीक नहीं हो सकता. ऐसे लोगों को दो साल तक नियमित रूप से दवा खिलाना एक बड़ी चुनौती थी. पर जब लोग ठीक होने लगे तो लोगों का भरोसा जागा और उन्होंने दवा ली. इससे पहले कुष्ठ होने पर रोगी को घर में ही अलग थलग कर दिया जाता था. जिनके घर पर्याप्त जगह नहीं होती, वो उसे घर से निकाल देते. अभियान के बाद लोगों ने न केवल कुष्ठ को एक रोग की तरह लिया बल्कि इलाज के लिए आगे आए और सहयोग भी किया.
इस अभियान के लिए उन्हें भोपाल में राज्यपाल मो. रफीक कुरैशी ने सम्मानित किया. दिल्ली में तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत के हाथों से भी वे सम्मानित हुईं. संभवतः वे पहली महिला थीं जिन्होंने राष्ट्रीय मंच पर खड़े होकर छत्तीसगढ़ी में अपनी बात रखी थी.
उनसे मुलाकात करने रासेयो कार्यक्रम अधिकारी शकुन्तला जलकारे तथा शिविर सहयोगी नेहा महाजन एवं दीपक रंजन दास ने उनसे उनके निवास पर ही मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया. उन्हें शिविर में सम्मिलित होने के लिए भी आमंत्रित किया गया है ताकि युवा शिविरार्थी उनके जीवन एवं कार्यों से प्रेरणा ले सकें.
इससे पहले शिविरार्थियों ने संध्या सम्पर्क रैली निकाली तथा ग्रामीणों को अपनी आमद की सूचना देने के साथ ही उनसे नशामुक्ति का संकल्प लेने की अपील की गई. संध्याकाल में गांव के बच्चों के साथ शिविरार्थियों ने कुछ वक्त बिताया और उनके साथ संवाद किया. शिविरार्थियों को प्रातःकाल महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे, उप प्राचार्य डॉ श्वेता भाटिया, प्रबंधक पंकज सिन्हा, आदि ने शुभकामनाओं के साथ समोदा रवाना किया.