भिलाई। मौसम में तेजी से हो रहा बदलाव नौनिहालों पर भारी पड़ रहा है. ठंड के आरंभ में जहां सर्दी खांसी की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंच रहे ज्यादा बच्चों में निमोनिया पाया जाता था वहीं अब उनमें श्वांस नली में सूजन के लक्षण मिल रहे हैं. खांसी की शिकायत के साथ शहर के मेडिकल कालेजों और अस्पतालों में आने वाले 10 में से 6 मरीज हाइपर रिएक्टिव एयरवे डिसीज (Hyperactive Airway Disease) के निकल रहे हैं. यह एक गंभीर समस्या है जिसमें देर करने पर बच्चे को एडमिट करने की जरूरत पड़ सकती है.
उक्त बातें हाइटेक सुपरस्पेशालिस्ट हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश देवांगन और पीडियाट्रिक इंटेसिविस्ट डॉ मिथिलेश यदु ने कहीं. उन्होंने बताया कि ठंड, धूल, नमी युक्त हवा तथा निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन) के कारण यह समस्या उत्पन्न हो सकती है. इसे एलर्जिक ब्रोंकाइटिस (allergic bronchitis) भी कहते हैं. इससे श्वांस नली सूज कर भीतर से सिकुड़ जाती है. इस रुकावट को फेफड़े प्राकृतिक रूप से दूर करने की कोशिश करते हैं जिसके कारण खांसी होती है. यह खांसी सुबह और शाम ढलने के बाद तीव्र हो जाती है. बच्चा खांसते खांसते उलटी कर देता है और ठीक से सो भी नहीं पाता.
उन्होंने बताया कि अकसर ऐसी खांसी के साथ बुखार या सर्दी जैसा कोई लक्षण नहीं होता. कभी-कभी खांसी शुरू होने के आरंभिक 2-3 दिनों तक बुखार आ सकता है. यह ऊपरी वायुमार्ग में वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है. इलाज में विलम्ब होने पर शरीर का ऑक्सीजन सैचुरेशन गड़बड़ाने लगता है और रोगी को अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज करने की नौबत आ सकती है. इसलिए खांसी के कारण का तत्काल पता लगाकर उसका इलाज करना शुरू कर देना चाहिए. बच्चों में होने वाली इस बीमारी को बाल दमा कहा जाता है जो लापरवाही से स्थायी हो सकता है और दमा में परिवर्तित हो सकता है.