भिलाई। आज के इस डिजिटल युग में जिस तरह से दिनोदिन सभी काम मशीन द्वारा संचालित और क्रियान्वित हो रहे है उसी को ध्यान में रखते हुए श्री शंकराचार्य तकनीकी कैम्पस में संचालित श्री शंकराचार्य ग्रुप आॅफ इन्स्टिट्यूटस (एस.एस.जी.आई.) भिलाई, के डिपाटर्मेन्ट आॅफ कम्प्यूटर सांइस एण्ड इंजीनियरिंग द्वारा 5 दिवसीय मशीन लर्निंग एंड डीप लर्निंग फॉर कंप्यूटर विजन एप्लिकेशन्स पर कार्यशाला सुचारु रूप से संचालित है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यशाला में उक्त दोनों ही विषयों पर विशेषज्ञ द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है, इस कायर्शाला में कुल 127 छात्रों ने भाग लिया है। इस कायर्शाला में पाइथन का उपयोग करके लीनियर रिग्रेशन, ग्रेडियेंट, डेसेंट, सुपरवाइज्ड लर्निंग अनसुपरवाइज्ड लर्निंग डेटा एनालिसिस और मशीन लर्निंग के तहत एसोसिएशन रूल्स के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। इसके अलावा लनिर्गं सेशन में प्रोजेक्ट डेवलपमेंट के बारे में भी जानकारी प्रदान की जा रही है, कई प्रतिभागी तकनिकी सीखने के बाद इस क्षेत्र में रिसर्च एवं उद्यमिता में जाना चाहते हैं , क्योंकि यह तकनिकी बिक्री एवं विपणन के क्षेत्र में अपनी जगह बना रही है और उपयोगिता के व्यवहार से उसके प्रबल खरीददार होने या न होने का अनुमान लगाने की क्षमता प्रदान करती है े
कायर्शाला के अंतर्गत दूसरे दिन और तीसरे दिन विद्याथिर्यों को टेंसरफ्लो पर कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। साथ ही आर्टिफिशियल न्यूरल, डीप न्यूरल नेटवर्क व एएनएन पर बेसिक असाइनमेंट, फीड फारवर्ड नेटवर्क व डीएनएन को इम्प्लीमेंट करने के बारे में जानकारी दी गई। कायर्शाला के विषय विषेषज्ञ डॉ. ऋषभ सिंह बेनेट यूनिवर्सिटी दिल्ली ने बताया कि डीप लर्निंग या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से कम्प्यूटर से बुद्धिजीवी के समान कार्य करवा सकते हैं। आवाज और चित्रों के माध्यम से पहचान करना इन्ही तकनीकों के कारण संभव हो पाया है। वहीं ब्लैक एंड व्हाइट इमेजेस को रंगीन करना, मूक फिल्मों में ध्वनि देना, स्वत: यांत्रिक रूप से अनुवाद करना, स्वत: हैंड राइटिंग और करैक्टर टेक्स्ट, इमेज कैप्शन जनरेशन, आॅटोमेटिक गेम प्लेइंग आदि संभव हो सका है। उन्होंने कहा-सर्वप्रथम हम यह जान लें कि कम्प्यूटर साइंस के क्षेत्र में डीप लर्निंग एक मुख्य विषय है। इसका उपयोग इंडस्ट्रीज में बिग डाटा एवं नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग में किया जाता है। आज दूर-दराज इलाकों में स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओ का अभाव रहता है और एड्रायड फोन की हर जगह पंहुच है इस प्रकार डीप लर्निंग का गहन अध्ययन करके इंटरनेट आॅफ थिगंस के साथ जोडक़र ऐसे दूरवर्ती इलाकों में तत्काल सेवाएं प्रदान की जा सकती है। डीप लर्निंग की सहायता से कम्प्यूटर को मानव मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के समान कार्य करवा सकते हैं। इसकी सहायता से इमेज एंड वाइस से कई तकनीकी उद्योग भारी निवेश कर रहे हैं। डीप लर्निंग की अवधारणाओं और शक्तिशाली उपकरणों से गहराई से समझा जा सकता है। वहीं इससे लगभग हर क्षेत्र में हर समस्या का समाधान भी तलाशा जा सकता है। यह एक अत्यंत आकर्षक क्षेत्र है।
प्रो. समता गजभिए एच.वो.डी., कंप्यूटर साइंस एन्ड इंजीनियरिंग ने कहा यह वर्कशॉप छात्रों के लिये बहुत ही कारगर साबित हो रही है और जिस तरह से छात्रों में सीखने की जिज्ञासा है निश्चित ही सब्जेक्ट एक्सपर्ट की सब्जेक्ट में कमाण्ड और उनके अनुभव का ही नतीजा है जिससे छात्र पूरे लगन से कायर्शाला का आनंद उठा रहे है, साथ ही सेहत उन्होंने कहा की वतर्मान में इस सब्जेक्ट की डिमांड को देखते हुए यह कायर्शाला प्रतिभगियों के लिये मील का पत्थर सभीत होगी। इस फील्ड में आगे भी बहुत ही ज्यादा स्कोप है, इस कायर्शाला में छत्तीसगढ़ के साथ ही कई राज्यों के छात्र-छात्राएं हिस्सा ले रहे हैं।