छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा क्षेत्र के लोगों ने बारिश के लिए अपने आराध्य भीमसेन को मनाने की कोशिश की. उदेला के पहाड़ पर स्थापित भीमसेन दरअसल 5 फुट ऊंचा एक पाषाण खंड है. बारिश के लिए इसी भीमसेन को मनाने की परम्परा है. इसके लिए भीमसेन का घड़ों पानी से अभिषेक कर पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद यहां बकरों और मुर्गों की बलि दी जाती है. इससे पहले ग्रामीणों ने दंतेश्वरी मंदिर में बारिश के लिए हवन पूजन किया गया था.
कुआकोंडा क्षेत्र के 84 गांव के साथ -साथ दंतेवाड़ा, कटेकल्याण क्षेत्र के भी कई गांव के लोग भीमसेन को मनाने उदेला पहुंचे थे. सौ किलोमीटर के दायरे में स्थित बुरगुम, पोटाली, निलावाया, रेवाली, अरनपुर, समेली, पालनार सहित गोंगपाल मैलेवाड़ा जैसे 84 गांवों से लोग बलि देने के लिए मुर्गा, बकरा लेकर पहुंचे.
उदेला के पहाड़ों में स्थित भीमसेन को पहले मटके में पानी लाकर नहलाया जाता है. फिर शिला पर कीचड़ का लेप किया जाता है. ये कार्य सिर्फ पुजारी, गायता करते हैं. ग्रामीण भीमसेन के सामने नृत्य भी करते है और फिर बलि दी जाती है. कुआकोंडा परगना के मांझी लक्ष्मीनाथ ने बताया कि उनके पूर्वज भी बारिश नहीं होने पर इसी भीमसेन को मनाते थे. भीमसेन खुश हो गएं तो बारिश होकर रहती है.