भिलाई। बचपन की चपलता, बुढ़ापे की स्थिरता, अंतरंग मित्र जैसा अपनापन, हर मुश्किल में साथ खड़ा होने का साहस यदि किसी एक प्राणी में मिलता है तो वह है आपका पेट डॉग। वह तब से इंसान के साथ है जब वह भोजन की तलाश में भटका करता था। इंसान के इस दोस्त की सेवा को ही अपना धर्म मानते हैं – डॉ सुशोभन राय। भिलाई में डॉग लवर्स एसोसिएशन की स्थापना करने वाले डॉ राय ने 1992 में 36 श्वानों के साथ अपना पहला डॉग शो किया था। लगभग उसी समय से श्वान प्रेमी दिनेश पाण्डेय उनके साथ हैं। डॉ शो आयोजित करने के पीछे कई कारण थे। एक तो यहां कई नस्ल के डॉग्स एक साथ दिख जाते हैं। लोग एक दूसरे को देख कर अपने डॉगी की बेहतर देखभाल करना सीखते हैं। यहां वेटेरेनरी डाक्टर उपलब्ध होते हैं जो डॉग्स के स्वास्थ्य की जांच कर उसके मालिक को उचित सलाह देते हैं। पर इसकी एक बड़ी वजह और भी है। डॉ रॉय बताते हैं कि किसी व्यक्ति को जितनी खुशी अपने बच्चे को परफार्म करते हुए, पुरस्कार जीतते हुए देखने में होती है, लगभग उतनी ही खुशी अपने डॉग के बारे में बातें करने में, उसे परफार्म करता हुआ देखने और उसके पुरस्कृत होने पर भी मिलती है। डॉ शो में विभिन्न वर्ग में ब्रीड, केयर, हेल्थ, ट्रेनिंग तथा ग्रूमिंग के आधार पर पुरस्कार दिए जाते हैं। आगे पढ़ें
क्यों पालते हैं डॉग्स
एक अच्छे साथी की तरह पेट्स न सिर्फ हमारा और आपका साथ देते हैं, बल्कि हमारा ध्यान भी रखते हैं। कभी-कभार तो वे इंसानों से भी ज्यादा समझदार लगने लगते हैं। इंसानों में अहं होता है, जब कभी उसका अहं आपकी बातों व काम से टकराता है तो वह आपका सगा नहीं रह जाता, लेकिन डॉग्स हर वक्त आपके साथ होते हैं। जब आप उनसे बातें शेयर कर रहे होते हैं तो वे बड़े ध्यान और प्यार से आपकी बातें सुनते रहते हैं और आप बेफिक्र होकर उनको अपने दिल का हाल सुना जाते हैं। आपको अपनी बहुत निजी सीक्रेट्स के लीक हो जाने का भी खतरा नहीं रहता। इस तरह आप खुद को हल्का महसूस करने लगते हैं और हर वक्त तनावमुक्त और खुश रहते हैं।
लोग ‘गार्ड डॉग्स को सुरक्षा के लिए भी रखते हैं। आप कुछ समय के लिए घर से बाहर जाते हैं तो वह आपको घर की तरफ से बेफिक्र रखते हैं। जो डॉग्स आपके साथ खूब मस्ती और धूम मचाते हैं, उनके नाम से ही चोरों की हालत पस्त हो जाती है। डॉग्स को इस तरह भी ट्रेन किया जा सकता है कि वह दृष्टिहीनों को रास्ता दिखा सकें।
अलग अलग प्रशिक्षण
जगह और माहौल के हिसाब से डॉग्स को अलग-अलग ढंग से प्रशिक्षित किया जाता है। घर में पालतू जानवर की तरह रखना हो तो अलग और खोजी कुत्ते की तरह तैयार करना हो तो अलग तरह से। क्राइम के उलझे हुए मामलों को हल करने में भी ये खोजी कुत्ते मददगार होते हैं। स्पीड, स्ट्रेंथ और सेंस ऑफ स्मेल की ट्रेनिंग देकर उन्हें सर्च डॉग्स सहित शिकारी कुत्तों के रूप में भी तैयार किया जाता है। करतब दिखाने में सक्षम ये डॉग्स चीजों को इतनी जल्दी सीख लेते हैं कि बच्चों के संग क्रिकेट, फुटबॉल जैसे खेल भी खेलते हैं और बड़े ही अपनेपन से सबके साथ पेश आते हैं।
स्टेटस सिम्बॉल
पेट्स को स्टेटस सिम्बॉल के रूप में भी देखा जाने लगा है। कुछ लोग अपनी पर्सनेलिटी के अनुसार थोड़े खतरनाक दिखने वाले जानवरों को पालना पसंद करते हैं। लोग ऐसे ही डॉग्स को चुनते हैं, जो उनकी छवि से मेल खाते हों और उनके स्टेटस को भी दर्शाते हों।
तनाव मुक्त बेहतर सेहत
रिसर्च बताती हैं कि पेट्स आपको तनाव से दूर रहने में मदद करते हैं। जब तक आप उनके पास होते हैं, किसी न किसी तरह से वे आपके चेहरे की मुस्कान बनाए रखते हैं। एक शोध में पाया गया कि एड्स ग्रस्त मरीज यदि पेट्स रखते हैं तो वे कम तनाव में रहते हैं और उनका जीवन लंबा हो जाता है। हाइपर टेंशन से ग्रस्त न्यूयॉक के स्टॉकब्रोकर्स के एक समूह पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि कुत्ता या बिल्ली पालने पर ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट्स कम हो जाता है। इस स्टडी के बाद ज्यादातर ऐसे लोगों ने पेट्स रखने शुरू कर दिये, जो पहले इनसे दूर रहते थे। रिसर्च से पता चलता है कि पेट्स को साथ लेकर बाहर व्यायाम के लिए जाने वाले लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा वक्त व्यायाम आदि को दे देते हैं। आलस्य या अन्य कारणों से कभी-कभार हम व्यायाम का कार्यक्रम रद्द कर भी दें तो नियत समय पर पेट्स हमारे करीब आकर पूंछ हिला कर हमें बाहर जाने के लिए इशारा करने लग जाते हैं।
शोध बताते हैं कि पेट्स को लेकर जब आप घर से बाहर निकलते हैं तो पेट्स न रखने वाले अनजान लोग भी रुक कर हमसे बातें करने लग जाते हैं। इस तरह ज्यादा से ज्यादा लोगों से हमारी पहचान हो जाती है और हमारा सोशल नेटवर्क भी बढ़ता है।
दूर करते हैं अकेलापन
आज की इस मतलबी दुनिया में जब जरूरत पडऩे पर अपने भी साथ नहीं देते तो पेट्स हर पल आपके साथ खड़े होते हैं। खुशी में उछल-कूद कर वे आपकी खुशियों को बढ़ाते हैं तो दुख में आपके साथ बैठे आंसू भी बहाते हैं, लेकिन कभी भी आपको अकेला नहीं छोड़ते। शोध बताते हैं कि नर्सिग होम में रह रहे मरीजों ने उस वक्त अकेलापन कम महसूस किया, जब उन्हें कुछ लोगों के साथ-साथ डॉग्स के साथ भी कुछ वक्त गुजारने का मौका मिला। ऐसे में वहां भर्ती मरीजों को अपनों और समाज द्वारा अलग कर देने का दुख कम करने में मदद मिली और उन्होंने एक बार फिर से खुद को समाज का हिस्सा महसूस किया।
18 जनवरी को डॉग शो
18 जनवरी को डॉग लवर्स एसोसिएशन का 15वां डॉ शो भिलाई के सेक्टर-7 हाईस्कूल ग्राउंड में होगा। इसमें कई ब्रीड्स के 170 से ज्यादा डॉग्स आ रहे हैं। पिछले डॉ शो में 150 डॉग्स आए थे। डॉग लवर्स एसोसिएशन के सचिव दिनेश पाण्डेय ने बताया कि इस बार लगभग 21 ब्रीड के इसमें शामिल होने की उम्मीद है। इनमें सेंट बर्नार्ड, जर्मन शेफर्ड, रॉटवीलर, ग्रेट डेन, गोल्डन रिट्रीवर, डॉबरमैन, लैब्राडॉर, डैश हाउण्ड, पग, स्पिट्ज, चि हुआ, इंग्लिश मैस्टिफ, फ्रेंच मैस्टिफ, बीगल, बुल मैस्टिफ, पामोरेनियन, पामटॉय, पूडल, आदि शामिल होंगे।