• Thu. May 2nd, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

हौसलों ने बनाया इन्हें फेंसिंग स्टार

Mar 17, 2015

shatrupa sonwani, rohini sahu, manju yadavभिलाई। छत्तीसगढ़ की इन बेटियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यदि हौसलों में दम हो तो शारीरिक निशक्तता कहीं आड़े नहीं आती। जब इनके हाथों में तलवार चमकती है तो अच्छे अच्छों के होश फाख्ता हो जाते हैं। क्षिप्रता, सटीकता और एकाग्रता के खेल में इन्होंने खुद को साबित कर दिखाया है। इन सभी ने पैरा ओलम्पिक्स में खुद को साबित किया है और कई पदक जीते हैं। read more
ग्राम सेमरा बिलासपुर की शतरूपा सोनवानी पैरा ओलम्पिक के फेंसिंग ईवेन्ट में छह स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। 2011 में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जब उन्होंने पहली बार इस ईवेन्ट में भाग लिया तो ब्रोंज मेडल हाथ लगा। पर अगले वर्ष इन्होंने फेंसिंग के तीनों ईवेन्ट में भाग लिया और 2 गोल्ड और एक ब्रोंज जीत लिया। एक साल और बीता तो फॉयल, ईपी और सेबर तीनों ईवेन्ट का गोल्ड इन्होंने अपनी झोली में डाल लिया। उनका इंटरनेशनल ईवेन्ट के लिए सेलेक्शन हुआ किन्तु पैसों के अभाव में वे उसमें भाग नहीं ले सकीं।
शतरूपा का फेंसिंग से परिचय तब हुआ जब वे उच्च शिक्षा के लिए होस्टल पहुंचीं। समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर शतरूपा फिलहाल संस्कृत में पीजी कर रही हैं। होस्टल में रहने के दौरान ही उन्होंने पहली बार फेंसिंग का गेम देखा और इसकी ओर आकर्षित हुर्इं। उन्होंने इसका बाकायदा प्रशिक्षण लिया और मैदान में उतर गर्इं। वे बताती हैं कि इसका साजोसामान काफी महंगा है। 20-30 हजार रुपए खर्च कर उन्होंने आवश्यक साजो सामान जुटा लिया। कड़ी मेहनत ने उन्हें देश में शीर्ष तक पहुंचा दिया। अब बारी है विदेश में धाक जमाने की। पिछले वर्ष उनका वर्ल्ड पैरा ओलम्पिक के लिए चयन हो गया पर जाना नहीं हो पाया। साधन-संसाधन आड़े आ गए। विदेश यात्रा के लिए डेढ़ लाख रुपए चाहिए थे। शासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली और वे मन मसोस कर रह गर्इं। पर उन्हें उम्मीद है कि शिक्षा और खेल के आधार पर उन्हें कोई न कोई नौकरी मिल ही जाएगी। फिर वे अपने खर्च पर विदेश जाकर देश का नाम रौशन करना चाहेंगी।
बिलासपुर की ही रोहिणी साहू के पैरों में जान नहीं है। पैरों का काम भी वे हाथों से ही लेती हैं। पर हौसले बुलंद हैं। एकाग्रता और आक्रामकता के इस खेल ने उन्हें आकर्षित किया। वे बताती हैं कि पैरा फेंसिंग व्हील चेयर पर होती है। इसमें दोनों खिलाड़ी व्हीलचेयर पर होते हैं तथा एक हाथ चक्के को तो दूसरा फेंसिंग वेपन को संभालते हैं। उनके खाते में एक सिल्वर मेडल है।
बिलासपुर की ही मंजू यादव 12वीं की छात्रा हैं। दिसम्बर 2014 में ही उन्होंने फेंसिंग खेलना शुरू किया और सेबर, फॉयल तथा ईपी तीनों ईवेन्ट में खेलती हैं। उन्होंने एक पैरा ओलम्पिक में हिस्सा लिया है और एक सिल्वर तथा एक ब्रोंज मेडल उनके खाते में है।

Leave a Reply