कोलकाता। बहुत कम लोगों को पता होगा कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने की नींव लगभग 50 साल पहले रामकृष्ण आश्रम में पड़ी थी। विवेकानंद से बेहद प्रभावित किशोर मोदी राजकोट स्थित रामकृष्ण आश्रम गए थे। उन्होंने स्वामी आत्मस्तनंद से संन्यास धर्म में दीक्षा मांगी थी। पर स्वामीजी ने उन्हें राजनीति में जाकर राष्ट्र की सेवा करने को कहा। उन्होंने किशोर नरेन्द्र से इसका बाकायदा वायदा लिया था। नरेन्द्र ने यह वादा निभाया और आज वे देश के प्रधानमंत्री हैं।
95 साल के स्वामी आत्मस्तनंद मशहूर बेलूर मठ के प्रमुख हैं। वे मोदी के गुरू भी हैं। मोदी 9 मई को स्वामीजी का सान्निध्य प्राप्त करने कोलकाता के बेलूरमठ पहुंच रहे हैं। वे यहां दो दिन तक रहेंगे। इससे पहले मोदी 2013 में बेलूर गए थे, उस समय वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मोदी ने स्वामी से दोबारा आने का वादा भी किया था। यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि जब मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तब उनके जैकेट के पॉकेट में एक फूल था। वह फूल स्वामी ने मोदी को प्रसाद के तौर पर एक चिट्ठी के साथ भेजा था।
1966 में स्वामी राजकोट के रामकृष्ण आश्रम आए थे। उस समय मोदी युवा थे और स्वामी विवेकानंद के जीवन से काफी प्रभावित थे। तब मोदी स्वामी से मिलने और उनके साथ आश्रम में रहने आए थे। कहा जाता है कि इससे पहले मोदी ने कुछ साल आध्यात्म सीखने में बिताए थे। कुछ दिन स्वामी के साथ आश्रम में बिताने के बाद मोदी ने उन्हें बताया कि वह भी संन्यासी बनना चाहते हैं। लेकिन स्वामी ने उनसे कहा कि वह संन्यास लेने के लिए नहीं बने हैं। वैसे भी राजकोट आश्रम संन्यासी बनने की दीक्षा नहीं देता था। स्वामी ने मोदी से कहा कि अगर वह सचमुच संन्यासी बनना चाहते हैं तो उन्हें बेलूर मठ जाना होगा।
आॅनलाइन पत्रिका नवभारत टाइम्स में प्रकाशित महुआ चटर्जी की रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी ने बेलूर मठ के तत्कालीन मठाधीश माधवानंद को इस बारे में चिट्ठी भी लिखी थी। संयोग से स्वामी माधवानंद ने भी मोदी की अर्जी ठुकरा दी। उन्होंने मोदी से कहा कि वह लोगों की खातिर काम करने के लिए बने हैं न कि संन्यास के लिए। इसके बाद मोदी अपने गुरु आत्मस्तनंद के साथ राजकोट लौट आए और आरएसएस की सदस्यता ले ली। इसके बाद वह राजनीति में उतरे।
पिछली बार मोदी जब बेलूर मठ गए थे तब स्वामी की तबीयत ठीक थी। दोनों ने काफी देर तक बातें की थीं और आत्मस्तनंद ने मोदी की आशीर्वाद भी दिया था। इस बार मोदी अपने गुरु से हॉस्पिटल में ही मिलेंगे क्योंकि वह फरवरी से ही बीमार हैं। इसके अलावा मोदी ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस की पत्नी मां शारदा की कुछ चीजें चोरी होने के मामले में जांच का वादा भी कर चुके हैं।