दुर्ग। राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने भू-अधिग्रहण कानून 2015 को लेकर की जा रही राजनीति पर नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि यह पहला ऐसा कानून है जिसमें अधिग्रहीत भूमि पर आश्रित खेतीहर मजदूर तक का ख्याल रखा गया है। उन्होंने इन आरोपों को भी बकवास बताया कि इससे निजी उद्योगपतियों को लाभान्वित किया जाएगा। उन्होंने भू अधिकग्रहण के लाभार्थियों की सूची जारी करते हुए बताया कि इसमें देश के रक्षा प्रतिष्ठान, विद्युत क्षेत्र, रेलवे और विशेष आर्थिक क्षेत्र जैसी सार्वजनिक हित की परियोजनाओं को ही लाभार्थी बनाया जा सकता है।
श्री पाण्डेय यहां जिला कलेक्टर साभागार में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर तथा परिदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2015 की जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत भूमि अधिग्रहण केवल पांच कार्यों के लिए किया जा सकेगा। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा उत्पादन से संबंधित परियोजना, ग्रामीण अधोसंरचना जिसमें विद्युतीकरण भी शामिल है, गरीब व्यक्तियों के लिए आवास तथा वहन योग्य आवास, शासन या उसके उपक्रमों के द्वारा स्थापित औद्योगिक कारीडोर एवं अधोसंरचनात्मक परियोजनाएं जिसमें पीपीपी की ऐसी परियोजनाएं शामिल हैं जिसमें भूमि का स्वामित्व शासन में निहित रहेगा।
80 फीसद परिवारों की पूर्व सहमति
श्री पाण्डेय ने बताया कि इस कानून के तहत प्रायवेट कम्पनी के लिए भू अर्जन करने पर 80 प्रतिशत प्रभावित परिवारों की पूर्व सहमति तथा पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप परियोजना के लिए 70 फीसदी प्रभावित परिवारों की पूर्व सहमति की आवश्यकता है। प्रभावित परिवारों में भूमिस्वामी के साथ ही वे परिवार भी शामिल हैं जो मजदूर के रूप में उक्त भूमि पर निर्भर हैं। संशोधन अध्यादेश में प्रावधान किया गया है कि अर्जन हेतु प्रस्तावित भूमि पर आश्रित भूमिहीन कृषि मजदूर के परिवार के एक सदस्य को भी रोजगार दिया जाना अनिवार्य किया गया है। नए अधिनियम में कलेक्टर द्वारा पारित अवार्ड के विरुद्ध आपत्ति की सुनवाई करने के लिए प्राधिकरण की स्थापना की गई है। अपीलीय अधिकारी अनिवार्य रूप से आपत्ति की सुनवाई प्रभावित जिले में ही करेगा।
जिले में होंगे 157 राजस्व विभाग मुक्त गांव
दुर्ग। राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने घोषणा की है कि जल्द ही जिले के 157 गांव राजस्व विभाग मुक्त कर दिए जाएंगे। इसके तहत प्रत्येक पटवारी हलके में एक एक गांव चिन्हांकित किया जाएगा जिन्हें छह माह के भीतर राजस्व प्रकरण मुक्त किया जाएगा। इससे ग्रामीणों को छोटे छोटे मामलों को लेकर बार बार तहसील या कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल जाएगी।
श्री पाण्डेय यहां कलेक्टर सभागार में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इसके तहत इन ग्रामों के 16 प्रकार के प्रकरणों का निपटारा ग्राम पर ही होगा। इनमें नामांतरण, बंदोबस्त, अतिक्रमण, कब्जा विवाद, गरीबों को आवासीय जमीन, आबादी जमीन आदि के मामले शामिल होंगे। इन प्रकरणों का निपटारा एसडीएम स्तर पर किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह स्कीम पूरे राज्य में चलाई जा रही है। इसके तहत प्रत्येक पटवारी हलके में पहले चरण में एक एक गांव को लिया जाएगा जिन्हें 6 माह में राजस्व प्रकरण मुक्त कर लिया जाएगा। इसके बाद वर्ष की दूसरी छमाही में एक एक गांव और लिया जाएगा। इस तरह एक वर्ष में प्रत्येक पटवारी हलके में दो दो गांव राजस्व प्रकरणों से मुक्त किए जाएंगे। पत्रवार्ता में मौजूद कलेक्टर आर शंगीता ने तहसीलदारों की अदालत में उपस्थिति सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।