दुर्ग। प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पीसी मनोरिया का कहना है कि हायपरटेंशन की बढ़ती बीमारी के विरूद्ध भी इसी तरह का जनजागरण अभियान चलाया जाना चाहिए जिस तरह पोलियों व अन्य बीमारियों के खिलाफ चलाया जाता है। भारत में हार्ट अटैक से प्रति घंटे 350 मरीजों की मौत होती है। उन्होंने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिये उचित खान पान रहन सहन संयमिक जीवन प्रणाली को जरूरी बताया। यहां आयोजति पत्रकारों से चर्चा के दौरान डॉ. मनोरिया ने उपरोक्त विचार व्यक्त किये सरकारें इस दिशा में कितनी सजग है और क्या कर रही है? इस पर मनोरिया का कथन था कि सरकारों को आपसी लड़ाइयों से ही फुर्सत नहीं है वे जनता के स्वास्थ्य का कितना ध्यान रखेंगी।
अविभाजित मध्यप्रदेश के चुनिंदा हृदयरोग विशेषज्ञों में से एक डॉ. पीसी मनोरिया हायपरटेंशन पर आयोजित एक कार्यशाला में शामिल होने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि आज की अनियमित दिनचर्या हायपरटेंशन के लिये ज्यादा जिम्मेदार है। ब्लड प्रेशर से डायबिटीज, हार्ट अटैक, नेत्ररोग, किडनी इत्यादि का खतरा बना रहता है। ज्यादा मोटापा खतरनाक है। कमर 8 0 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ब्लड शुगर 8 0 में ही नार्मल रहता है। पल्सरेट 8 0 प्रतिमिनट रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन को सही, सुव्यवस्थित बनाये रखने के लिये प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन अपने लिये कम से कम 8 0 मिनट देना चाहिए। प्रात: भ्रमण करना जरूरी है। धूम्रपान वर्जित रखे। एक अन्य शब्दों में खान पान रहन सहन को लेकर जैन धर्म में जो प्रावधान है उन्हें उपयुक्त जीवन शैली के लिये आदर्श कहा जा सकता है।
यह पूछे जाने पर कि आज जिस तरह फास्ट फूड, पीजा का प्रचलन बढ़ रहा है। बाजारों में छा गये विभिन्न कंपनियों के खारे मिक्चर भुजिया इत्यादि की भरमार चल रही है, इस पर आपकी टिप्पणी क्या है? इस प्रश्न के उत्तर में डॉ. मनोरिया ने कहा कि ये सब हृदय के लिये घातक है। नमकीन में तो आज औसत उपयोग में कई गुना ज्यादा नमक प्रयोग किया जाता है। ब्लड प्रेशर के लिये ये सभी आइटम जानलेवा है। मैदा से बनने वाले खाद्यान भी नुकसानदायक है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि हायपरटेंशन वंशानुगत बीमारी है मगर अन्य लोगों में भी यह तेजी से पैर पसार रही है । इसके दुष्परिणाम इतना अधिक है कि प्रति घंटा साढ़े 3 सौ मरीजों की हार्ट अटैक से मृत्यु होती है। उन्होंने कहा कि जिंदगी लोगों ने भागमभाग की बना ली है। हर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा धन कमाने के चक्कर में पड़ा है। हेल्थ इज वेल्थ की पुरानी कहानत भूलने लगा है। इसी आधाधापी में वह न तो हेल्थ बचा पा रहाहै और न ही वेल्थ बचा पा रहा है।
डॉ. मनोरिया से आज की चिकित्सा सेवा लगातार महंगी होने की वजह पूछी गई तो उनका कहना था कि जब करोड़ रूपया लगाकर कोई डाक्टर बनेगा तो स्वाभाविक है कि वह कमाने की ही सोचेगा। पुराने डाक्टर मरीज को देखकर ही डायग्नोस कर लेते है। इतने टेस्ट वगैरह नहीं कराये जाते थे। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने साढ़े 6 सौ रूपये की फीस पर मेडिकल कालेज की पढ़ाई कर ली थी। उस पर भी स्कालर शीप मिलती थी। उन्होंने कहा कि आज का पूरा परिदृश्य बदल गया है न पहले की तरह शिष्य रहे और न ही उन्हें पढ़ाने वाले अध्यापक ही वैसे रहे। उन्होंने कहा कि किताबी ज्ञान के सहारे ही अच्छा डाक्टर नहीं बना जा सकता। पहले आधी रात को भी कोई टिपिकल केस आता था तो टीचर स्टूडेंट को क्लीनिक में ले जाकर स्टडी कराते थे। आज तो मेडिकल कालेज में पढ़ाने वालों की भी कमी हो गई है।
डॉ. मनोरिया ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि भारत चिकित्सा के क्षेत्र में आदर्श देश नहीं बन सकता । यहां पर आबादी काफी ज्यादा है लगातार जनसंख्या बढ़ रही है और डाक्टर कम है। कई देश ऐसे है जहां आबादी कम है, डाक्टर के पास मरीज भी कम होते है तो वहां ज्यादा ध्यान से इलाज संभव हो पाता है। यहां तो सरकारी अस्पतालों में एक एक डाक्टर सौ-डेढ़ सौ मरीज तक को देखता है तो कैसे सही इलाज संभव है।
यह पूछने पर कि आज तरह तरह की पैथा होम्योपैथी, आयुर्वेद और एलोपैथी प्रचलित है। सबके अपने अपने दावे है एक वरिष्ठ, अनुभवी चिकित्सक के नाते इन पर आपकी टिप्पणीा क्या है? इस पर डॉ. मनोरिया ने कहा कि वे एलोपैथी के डाक्टर इसलिए अन्य पैथी पर अधीकृत टिप्पणी नहीं करेगें किंतु यह सुझाव है कि मेडिकल कालेज क े सिलेबस में इन पैथियों पर भी पढ़ाया जाना चाहिए।
प्रारंभ में आज के सेमीनार आईएमए के महामंत्री डॉ. प्रभात पाण्डेय ने डॉ. मनोरिया का परिचय दिया।