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गैरों को न दें अपना पासबुक-एटीएम

Jun 22, 2015

IG Pradeep Guptaभिलाई। एटीएम जालसाजी के एक बड़े गिरोह का खुलासा करते हुए आईजी प्रदीप गुप्ता ने आज लोगों से अपील की कि किसी भी तरह के लालच में आकर लोग अनाम लोगों के कहने पर एकाउंट खुलवा लेते हैं तथा अपना पासबुक और एटीएम कार्ड ऐसे लोगों के हवाले कर देते हैं। इसके कितने खतरनाक परिणाम हो सकते हैं यह हाल ही में पकड़े गए एक प्रकरण से स्पष्ट हो जाता है।आईजी ने बताया कि 10 जून को प्रार्थी सुनील कुमार अग्रवाल द्वारा उसके ई-मेल हैक कर बैंक आफ इंडिया ब्रांच के माध्यम से 25 लाख रुपए जिन्दल पावर कंपनी को भेजने आरटीजीएस किया था। हैकर द्वारा मुरादाबाद के स्टेट बैंक शाखा करूला में मनोज कुमार कश्यप के खाते में ट्रांसफर करा लिया था। Read More
थाना सुपेला में अपराध क्रमांक 397/15 धारा 420, 34, भादवि, 66-घ आईटी एक्ट पंजीबद्ध कर विवेचना के दौरान मुरादाबाद से आरोपी मनोज कुमार कश्यप को 11 जून को गिरफ्तार कर लिया। उसे थाना सुपेला3 की टीम दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के सहयोग से काल डिटेल एवं बैंक स्टेटमेंट के माध्यम से पता लगाकर मो. अकरम पिता मो. मुस्तफा को गिरफ्तार कर लिया। अकरम ने मनोज कुमार कश्यप के अलावा भी अन्य कुछ लोगों को उसके एकाउण्ट खुलवाकर बिजनेस का रुपया उनके अकाउण्ट में आने पर उन्हें प्रत्येक ट्रांजेक्शन पर कमीशन देने का लालच देकर उनका एटीएम कार्ड एवं पासबुक लेकर नाईजीरियन नागरिक एम्बे लुकास जानसन उर्फ अब्राहम को दिया था।
लुकास अपने मित्र की मदद से ई-मेल हैक कर सुनील अग्रवाल का 25 लाख रुपए, मनोज कुमार के एकाउण्ट में जालसाजी कर ट्रांसफर कराकर 6 लाख रुपए निकाल लिए थे। मो. अकरम एवं एम्बे लुकास जानसन उर्फ अब्राहम को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया एवं दिल्ली के द्वारका के न्यायालय से ट्रांजिट रिमाण्ड लेकर थाना सुपेला लाया गया। मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सीज कराया गया एवं शेष 19 लाख रुपये प्रार्थी के बैंक आफ इंडिया, नेहरू नगर स्थित खाते में ट्रांसफर कराया गया है।
ई-मेल हैकर फरार है। एम्बे लुकास जानसन उर्फ अब्राहम अपने ग्रुप में अपने सहयोगियों के साथ लॉटरी के नाम पर ठगी का काम भी करता था। ये लोग स्थानीय क्रिमिनल्स के माध्यम से लोगों को बिजनेस का झांसा देकर बैंक खाते खुलवाते हैं। उन खातों के पासबुक/एटीएम कार्ड अपने पास रखते हैं। आईजी ने बताया कि अपनी सारे ठगी से जो पैसा भुक्तभोगी जमा करते हैं, वो इनमें से किसी एक एकाउण्ड में पैसा जमा करवाते हैं, फिर एटीएम के माध्यम से उसे निकाल लेते हैं। इस तरह से एकाउण्ट खोलकर दूसरों को प्रयोग करने देने के बहुत खतरनाक परिणाम होते हैं।

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