अब तक 350 बच्चों को अध्ययन के लिए भेज चुकी है विदेश
भिलाई। टॉप कैरियर एजुकेशन भिलाई अपने शानदार छठवें साल में प्रवेश कर चुकी है। 2009 में शुरू हुई संस्था बच्चों को विदेश में शिक्षा हासिल करने के लिए काउंसलिंग, गाइडेंस और हर संभव सहयोग उपलब्ध कराती है। संस्था के डायरेक्टर जसमिन्दर सिंह ने बताया कि विदेशों में शिक्षा को लेकर एक तरफ जहां छात्रों में तीव्र उत्सुकता होती है वहीं दूसरी ओर पालकों में थोड़ी बहुत चिंता भी होती है। यह स्वाभाविक भी है। किन्तु यदि सही कालेजों का चयन किया जाए, पूरी मेहनत से पढ़ाई की जाए तो न केवल वे बेहतरीन अंकों से साथ अपनी शिक्षा पूरी कर सकते हैं बल्कि भारत लौटने पर एमसीआई क्लीयर करना भी उनके लिए कठिन नहीं होता। Read More
उन्होंने बताया कि विदेश जाकर पढ़ाई करने वालों में सबसे अधिक संख्या एमबीबीएस करने के इच्छुक छात्रों की होती है। इसके अलावा मेडिकल की उच्च शिक्षा एमएस, इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा एमटेक, होटल मैनेजमेन्ट के लिए भी छात्र विदेश जाते हैं। जसमिन्दर सिंह एवं संयुक्त निदेशक परविन्दर सिंह गांधी ने बताया कि संस्था अब तक 350 से अधिक विद्यार्थियों को रशिया, चीन, फिलीपीन्स, पोलैंड, जार्जिया भेज चुकी है। उन्होंने बताया कि विदेशों में एमबीबीएस की पढ़ाई 5 वर्ष 8 माह की होती है। फिलहाल भिलाई के 80 बच्चे विदेश में एमबीबीएस कर रहे हैं। इसके अलावा कोरबा, राजनांदगांव, रायगढ़, दुर्ग-भिलाई, रायपुर। इसके अलावा गोंदिया तथा मध्यप्रदेश के बच्चे भी उनके माध्यम से विदेश में डिग्री हासिल कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन देशों में एमबीबीएस करने का खर्च पूरी अवधि का 16 से 40 लाख रुपए आता है। इसमें शिक्षण शुल्क, होस्टल फैसिलिटी शामिल है। फीस को किस्तों में अदा करने की इजाजत होती है।
संस्था ने रविवार को होटल अमित इंटरनेशनल में एमबीबीएस फेलो स्टेशन – 2015 का आयोजन किया। डॉ शैलेन्द्र जैन, निदेशक, पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र, भिलाई कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इसके अलावा स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मीना जैन, लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ राजेश सिन्हा, द सृजन टेस्ट ट्यूब बेबी सेन्टर की डायरेक्टर डॉ संगीता सिन्हा मौजूद थे।
डॉ शैलेन्द्र जैन ने कहा कि एमसीआई की परीक्षा फेयर है। उन्होंने कहा कि इसे पास करने के लिए आपका ज्ञान पुख्ता होना चाहिए। इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी, चीजों को ठीक से समझना तथा याद करना होगा। प्रत्येक विषय पर यदि आपस में ग्रुप डिस्कशन कर सकें तो बेहतर होगा। इससे ज्ञान पुख्ता होता है। उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में खुद को अपडेट करते रहना बेहद जरूरी है। दिन प्रतिदिन नई बीमारियां, नई दवाएं तथा जांच एवं इलाज के नए तरीके, साधन और संसाधन आ रहे हैं। इनके बारे में जानकारी रखना एक अच्छे पेशेवर जीवन के लिए उपयुक्त होता है।
एमसीआई के विषय में उन्होंने आगे कहा कि एमसीआई आपके ज्ञान के स्तर को सही प्रकार से जांचना चाहती है इसलिए उसके प्रश्न मौलिक होते हैं। सतही ज्ञान हासिल करने पर इस टेस्ट को क्लीयर नहीं किया जा सकता।