भिलाई। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां मतदान 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को मौलिक अधिकार है लेकिन आज के समय में यह वैकल्पिक होता जा रहा है। जहां हर वर्ग और समुदाय के लोगों के लिए समान अधिकार है जहां सुप्रीम कोर्ट ने भी वोटर कार्ड और पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस की सुविधाओं को सुनिश्चित किया है किया है लेकिन आज भी चुनावों और घोषणा पत्रों में थर्ड जेंडर के लिए कोई उचित और मूल्यवान सुविधाएं नहीं प्रदान की गई हैं। इसी कारण भारत में वोटिंग 100 प्रतिशत नहीं होती। इसके अलावा विकलांग वर्ग भी इन समस्याओं से अछूता नहीं है। हमारे समाज में जागरूकता की कमी दूर करने के लिए इस विषय पर स्वरूपानंद महाविद्यालय में पेंटिंग पोस्टर, निबंध, वाद-विवाद और परिचर्चा का आयोजन किया गया। Read More
विद्यार्थियों ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रत्येक वोट से हम सरकार बना भी सकते हैं और गिरा भी सकते हैं। भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने इस अधिकार का उपयोग करना चाहिए। उच्च वर्ग से लेकर निम्न वर्ग तक के सभी नागरिक एवं सरकारी कर्मचारियों को भी मतदान करना चाहिए। मतदान में जातिवाद को किनारे रखकर सोचना चाहिए और उपयुक्त उम्मीदवार को ही वोट देना चाहिए। लेकिन यह भी तभी संभव है जब सभी वर्गों को उचित लाभ मिले अन्यथा लोगों में असहिष्णुता की भावना जागृत हो जाती है और उनके मन में अच्छे उम्मीदवारों के प्रति भी नकारात्मक भावना पनप जाती है।
मतदान क्यों करें यह परिचर्चा का मुख्य विषय रहा जिसमें बताया गया कि केवल 50 प्रतिशत नागरिक ही मतदान करते हैं और उसमें से 20 प्रतिशत तो प्रलोभन के झांसे में आकर वोट करते हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि केवल 30 प्रतिशत वोट ही सही मायने में दिए जाते हैं। इसी प्रकार जो 50 प्रतिशत वोट नहीं जाते उनमें से जो 20 प्रतिशत वोट नहीं जाते है वो थर्ड जेंडर और विकलांग रहते हैं। अत: हमारे समाज को एक अच्छे उम्मीदवार के साथ के अच्छे सोच की जरूरत है जो सभी वर्गों में समान दृष्टि रखें। जब तक सरकार थर्ड जेंडर और विकलांग को बुनियादी सुविधाएं जैसे रोजगार मकान और समानता का अधिकार नहीं प्रदान करेगी तब तक 100 प्रतिशत मतदान संभव नहीं हैं। 30 प्रतिशत लोग साक्षर होने के बाद भी वोट नहीं देते क्योंकि उनमें जागरूकता का अभाव होता है। भारत विश्व का एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां एक वोट से एक सोच आती है। इसके लिए जागरूक होना बहुत जरूरी है। साथ ही साथ इस देश में भिन्न-भिन्न रोजगारों के लिए अलग-अलग उपाधियों की आवश्यकता होती है। लेकिन राजनीतिज्ञों के लिए यह कहीं पर भी लागु नहीं होती इसलिए कहा गया है कि एक अपराधी से समाज का आहित नहीं होता लेकिन समाज के एक सक्षम व्यक्ति के जागरूक न होने से समाज जरूर प्रभावित होता है। अत: हमें मतदान और समाज के लिए अपने दायित्वों के प्रति जागरूक होना चाहिए।
परिचर्चा में प्रथम स्थान मौसमी बी.सी.ए. प्रथम वर्ष और द्वितीय आयुशी बी.काम द्वितीय वर्ष रहीं।
कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. (श्रीमती) हंसा शुक्ला ने कहा कि जब तक 100 प्रतिशत मतदान नहीं होगा तब तक देश विकसित नहीं होगा। इसलिए थर्ड जेंडर और विकलांग भी भारत की जनसंख्या में महत्वपूर्ण योगदान है अत: मतदान का प्रयोग करने से पहले उम्मीदवार के कार्यों और समाज के प्रति निष्ठा को ध्यान में रखकर अपना कीमती वोट दें।
मंच संचालन और धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. मनोज पाण्डेय कम्प्यूटर विभाग द्वारा दिया गया, एवं कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीमती नीलम गांधी विभागाध्यक्ष वाणिज्य और स.प्रा. योगेश देशमुख बायोटेक्नोलॉजी का विशेष योगदान रहा।