• Fri. Apr 26th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

सोच, विचार व बनावट को निर्धारित करती है प्रकृति

Feb 18, 2016

DAV-workshopभिलाई। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्रालय के विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी विभाग अंतर्गत स्वशासी संस्थान विज्ञान प्रसार के सौजन्य से छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच द्वारा छत्तीसगढ़ के कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव व बस्तर जिलों में संचालित उच्चतर माध्यमिक / माध्यमिक व पूर्व माध्यमिक शालाओं के 50 विज्ञान शिक्षकों के लिए आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एमके वर्मा ने किया। छत्तीसगढ़ विज्ञान व प्रौद्यौगिकी परिषद् के पूर्व महानिदेशक डॉ एमएल नायक की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में डीएव्ही संस्थाओं के क्षेत्रीय निदेशक प्रशांत कुमार विशेष अतिथि थे।
dn-sharmaडॉ वर्मा ने प्रकृति अध्ययन सम्बन्धी कार्यशाला की संरचना की प्रशंसा करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति के जीवन को गढऩे व संवारने में शालेय शिक्षकों की सर्वाधिक भूमिका होती है। किसी भी क्षेत्र की प्राकृतिक परिस्थितियां वहां के मानव के शारीरिक व मानसिक संरचना, व्यवहार एवं सोच की विशिष्टता को निर्धारित करती है। प्रकृति की अपनी स्वचलित, चिरस्थाई व गतिशील प्रक्रियाएं हैं जिन्हें वैज्ञानिक विज्ञान के नियमों के रूप में प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने शिक्षकों का आव्हान किया कि वे बच्चों में प्रकृति की तथ्यात्मक समझ विकसित करने में विशेष भूमिका का निर्वाह करें ताकि वे प्रकृति से न केवल सीखें वल्कि उसके क्षरण का कारण न बनें।
अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक डॉ एमके नायक ने कहा की मानव अब तक का सबसे बुद्धिमान प्राणी जरूर है परन्तु अपने लोभ के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर आत्मघाती मूर्खतापूर्ण भूल भी कर रहा है। विशिष्ट अतिथि प्रशांत कुमार ने विज्ञान के माध्यम से अंधविश्वासों को दूर करने के प्रयासों शिक्षकों को सहभागी होने को कहा।
आरम्भ में छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच की सचिव डॉ भव्या भार्गव ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। विज्ञान मंच के अध्यक्ष प्रो डी एन शर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों में प्रकृति को बेहतर ढंग से समझाने के लिए गतिविधि आधारित इस चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसमें डॉ बी के त्यागी (नई दिल्ली), जावेद आलम (पटना), डॉ एमएल नायक (रायपुर), बीएल मलैय्या (इटारसी) स्त्रोत प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

Leave a Reply