• Fri. Apr 26th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

पूंजी-प्रवाह उच्च वर्ग तक सीमित

Mar 30, 2016

science-college-vyakhyanसाइंस कालेज में प्रो. आर. एन. सिंह का व्याख्यान
दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में अर्थशास्त्र एवं इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिये ‘समावेशी विकास की अवधारणा और भारतÓ विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया । इस अवसर पर मुख्य वक्ता शास. दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के प्राचार्य डॉ. आरएन सिंह थे।
डॉ. सिंह ने समावेशी विकास की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुऐ कहा कि वर्तमान समय में भारत की अर्थव्यवस्था का आधार समावेशी विकास अर्थात ‘सबका साथ सबका विकास’ ही है । Read Moreकिन्तु यह नवीन सिद्धांत या अवधारणा नहीं है । इस का सर्वप्रथम प्रतिपादन ग्रीस के दार्शनिक टेकिस फोटोपुलुस ने 1990 में तब किया था जब सोवियत रूस का पतन हुआ और सर्वत्र यह भय व्याप्त हो गया कि अब संपूर्ण विश्व पूंजीवाद व्यवस्था का अंग बन जायगा । समावेशी विकास का अर्थ है ‘समाज के प्रत्येक तबके का विकास’  डॉ. सिंह ने बताया कि समावेशी विकास एक आदर्श व्यवस्था थी, जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था में 12 वीं पंचवर्षीय योजना में सम्मिलित किया गया । उन्होंने बताया कि उदारीकरण वैश्वीकरण एवं निजीकरण के दौर में निश्चित रूप से विश्व के अन्य देशों की भॉंति देश का आर्थिक विकास तो हुआ किन्तु न तो रोजगार के क्षेत्र में संभावनायें बढ़ीं और न ही गरीबी का उन्मूलन हुआ इसी तरह जी. डी. पी. बढऩे का कोई लाभ रोजगार के क्षेत्र में दिखाई नहीं पड़ा । यही स्थिति भारत के अधिकांश राज्यों की भी है जहाँ पूंजी का प्रवाह केवल उच्च वर्ग तक ही सीमित है । डॉ. सिंह ने बताया कि यह सत्य है कि देश की अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव मेक इन इंडिया, शिक्षा के लोक या व्यपीकरण, कौशल विकास, भारत स्वच्छता अभियान , अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना, स्वर्ण निवेश योजना मनरेगा, सोशल ऑडिट के द्वारा लाने की कोशिश की जा रही है । शासन और जनता के संयुक्त प्रयासों से ही सार्थक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशीलचन्द्र तिवारी ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों को विश्व और देश की अर्थव्यवस्था के परिवर्तित स्वरूप से परिचित कराने के साथ-साथ उन्हें ज्ञान के क्षेत्र में अपडेट कराना भी है । इसके पूर्व अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीमती शिखा अग्रवाल ने स्वागत भाषण में कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अन्र्तसंकाय व्याख्यान का आयोजित करना आज समय की मांग है, तेजी से बदल रहे वैश्विक परिवेश में यह अत्यंत आवश्यक है कि विद्यार्थी आर्थिक परिवर्तनों पर सूक्ष्म दृष्टि रखें एवं उसके अनुरूप ज्ञान का अर्जन करें।
व्याख्यान के उपरांत डॉ सिंह ने विद्यार्थियों द्वारा कृषकों की आत्महत्या, ग्रामीण ऋणग्रस्तता, बैंकों की कार्यप्रणाली से संबंधित प्रश्नों के उत्तर भी दिये।
कार्यशाला में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के अलावा प्राध्यापक डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय, डॉ. अजय सिंह, डॉ. कल्पना अग्रवाल, डॉ. ज्योति धारकर, डॉ. एलके भारती, अािद उपस्थित थे। इस अवसर पर प्राचार्य द्वारा डॉ. आरएन सिंह को स्मृति चिन्ह भेट किया गया। कार्यक्रम का संचालन अर्थशास्त्र विभाग की डॉ. के. पदमावती ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय ने किया।

Leave a Reply