दुर्ग। एक ही भूमि पर लम्बे समय तक लगातार एक ही फसल लेने से भूमि की उर्वरा शक्ति और उत्पादन कम होने लगता है और इस कारण किसानों का आर्थिक लाभ भी कम हो जाता है। कृषि को आमदनी का बेहतर जरिया बनाने के लिए उसी भूमि पर फसल चक्र परिवर्तन कर अधिक मुनाफा लिया जा सकता है। इसी बात को धमधा विकासखण्ड के ग्राम मलपुरी खुर्द के कृषक घनश्याम साहू ने सच करके दिखाया है।
31 वर्षीय घनश्याम साहू ने बताया कि वह लम्बे समय से अपने परिवार के साथ कृषि का कार्य कर रहा है। वह अपने खेत में पहले केवल धान का फसल लेता था। उसे कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने और मार्गदर्शन लेने का अवसर मिला। नेशनल मिशन ऑन आईलसीड एण्ड ऑयलपाम योजनांतर्गत उसके खेतों में सोयाबीन का प्रदर्शन किया।
श्री साहू ने बताया कि पहले घर का बीज उपयोग कर रोपा पद्धति से धान की खेती करते थे। जिससे प्रति हेक्टेयर 16 हजार रूपए की लागत आती थी और 28 हजार रूपए का धान उत्पादन होता था। इस तरह शुद्ध लाभ केवल 12 हजार रूपए का होता था। अब उसने धान के साथ सोयाबीन की फसल लेने का कार्य किया, इससे जहां उसे सोयाबीन की फसल में प्रति हेक्टेयर 35 हजार रूपए का शुद्ध लाभ हो रहा है। इससे उसका लाभ बढ़ा है। उसका प्रयास अन्य कृषकों के लिए भी प्रेरणा का काम कर रहा है और आस-पास की किसान भी अब सोयाबीन का फसल ले रहे हैं विशेषकर रबी फसल के लिए।