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बेझिझक पुलिस की मदद लें महिलाएं : IG Kabra

Aug 13, 2016

durg-police-helplineमहिला सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन, ट्विटर हैंडल, व्हाट्सअप ग्रुप लांच, एक कॉल या मैसेज पर मदद के लिए दौड़ी आएगी पीसीआर, थाना जाने की जहमत उठाने की भी जरूरत नहीं, पीडि़ता का नाम गोपनीय रखने की भी व्यवस्था
भिलाई। दुर्ग जिले में पुलिस ने महिलाओं एवं छात्राओं का विश्वास हासिल करने के लिए आज एक शानदार पहलकदमी की। लगभग एक माह की लंबी तैयारी के बाद रेंज के आईजी दीपांशु काबरा ने आज इसे कलामंदिर में समारोह पूर्वक लांच किया। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि श्री काबरा ने कहा कि अपराधियों में पुलिस के प्रति भय होना चाहिए। पर दिक्कत यह है कि आम सभ्य समाज भी पुलिस से डरता है। छोटे से छोटे काम के लिए भी यदि किसी को पुलिस थाना जाना हो तो वह किसी रसूखदार, किसी पत्रकार या किसी और सामाजिक व्यक्ति को साथ में लेकर जाता है। अकसर इसी व्यक्ति की तलाश में वक्त निकल जाता है और शिकायतें पुलिस तक नहीं पहुंच पातीं। पर अब ऐसा नहीं होगा।
श्री काबरा ने कहा कि दिल्ली के निर्भया काण्ड के बाद शासन ने पुलिस और कानून को लोगों के और पास लाने की कोशिश की। नारी अस्मिता की सुरक्षा के लिए नए कानून बने और अब ऐसे बहुत सारे काम दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आ चुके हैं जिनकर पहले कभी गौर नहीं किया गया। बावजूद इसके पुलिस और आम नागरिकों के बीच की दूरियां कायम हैं। अब हमने एक पहलकदमी की है। महिलाएं, छात्राएं और युवतियां अब बेझिझक पुलिस की मदद मांग सकती हैं। इसके लिए उन्हें थाने आने की भी जरूरत नहीं होगी।
श्री काबरा ने बताया कि पुलिस ने भी अपनी तरफ से अच्छा रेस्पांस सिस्टम तैयार किया है। उन्होंने कहा कि पहले जब वे यहां जिला पुलिस कप्तान हुआ करते थे तो यहां केवल एक ही पीसीआर हुआ करती थी। अब इनकी संख्या में काफी इजाफा हुआ है। यदि समाज ने अपना काम किया और पुलिस की मदद मांगी तो हमारी भी पूरी कोशिश होगी कि त्वरित सहायता उपलब्ध करा सकें।
महिला हेल्प लाइन की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें पीडि़ता को यह विकल्प दिया गया है कि यदि वह चाहती है कि किसी कारण से आरोपी के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई न हो तो पुलिस केवल समझाइश देकर छोड़ देगी। यदि वह चाहेगी तभी उसका नाम उजागर किया जाएगा अन्यथा उसका नाम केवल पुलिस रिकार्ड में रेफरेन्स के लिए उपलब्ध रहेगा।
आरंभ में महिला हेल्पलाइन और इसके लिए खास तौर पर बनाई गई रक्षा टीम के बारे में विस्तार से बताते हुए जिला पुलिस कप्तान अमरेश मिश्रा ने बताया कि व्हाट्सअप, फेसबुक और ट्विटर के लिए पुलिस ने ७२४७००१०९१ जारी किया है। वहीं महिला हेल्पलाइन के लिए १०९१ नम्बर जारी किया गया है। पुलिस कंट्रोल रूम के नम्बर १०० पर भी डायल करके हादसों और खतरों की सूचना पुलिस को दी जा सकेगी।
एसपी श्री मिश्र ने कहा कि महिलाओं की मदद के लिए ये विकल्प पहले भी मौजूद थे पर इसपर कोई खास रिस्पांस नहीं मिल रहा था। इसलिए अब नए सिरे से इसे लोकप्रिय बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यदि महिलाएं स्वयं अपने अधिकारों एवं सम्मान की रक्षा के लिए आगे आएंगी तभी पुलिस उनकी मदद कर पाएगी।
उन्होंने कहा कि आईजी श्री काबरा के सुझाव पर इसके लिए एक खास टीम का गठन किया गया है। श्री काबरा के सुझाव पर ही इस टीम को रक्षा टीम का नाम दिया गया है। इस टीम का नेतृत्व अनुभवी महिला पुलिस अधिकारी नवी मोनिका पाण्डेय को सौंपा गया है। सभी १५ टीमों में महिला अधिकारी ही अधिक संख्या में होंगी हालांकि धरपकड़ करने के लिए योग्य पुरुष अधिकारी भी साथ में होंगे।
एक प्रेजन्टेशन के माध्यम से उन्होंने महिलाओं की समाज में स्थिति को दर्शाया और फिर वह आदर्श स्थिति भी बताई जो महिलाओं के लिए होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पुलिस महिलाओं की सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हमने शहर के १०० ऐसे पाइंट्स को चिन्हित किया है जहां महिलाओं और बच्चियों का खतरा है। इनमें से भी ७० स्थान ऐसे हैं जहां खतरा अधिक है। इन सभी स्थानों की सतत् निगरानी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि आज इस योजना को यहां महिलाओं के सान्निध्य में लांच किया जा रहा है ताकि उन्हें भी अपनी भूमिका और जिम्मेदारी का अहसास हो। इस योजना को सफल बनाने में यह बात अहम है कि लोग महिला हेल्प लाइन का उपयोग सोच समझ के साथ करें और इसका दुरुपयोग न करें। पुलिस सभी महिला प्राचार्यों, महिला कर्मचारियों, छात्राओं और स्वयं सेवी संस्थाओं से यह अपेक्षा करती है कि वह इन नम्बरों का अधिक से अधिक प्रचार करें और लोगों तक इनका उपयोग करने का तरीका भी पहुंचाएं। यदि समाज ने अपनी भूमिका निभाई तो पुलिस भी अपना काम करेगी।
पुलिस से अपनी अपेक्षाओं का जिक्र करते हुए डॉ विभा झा ने जहां इसे बहनों के लिए रक्षाबंधन से पूर्व पुलिस (भाई) का तोहफा बताया वहीं उन्होंने कहा कि पुलिस समाज की रक्षक है। यदि हम समाज का बायां हाथ हैं तो पुलिस दाहिना हाथ, हमें मिल कर काम करना होगा। मेरा व्यक्तिगत अनुभव बताता है कि आधी रात को फोन करने पर भी पुलिस मदद करने के लिए पहुंच जाती है। साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दें ताकि वे सुरक्षित रह सकें। महिलाओं को अपने बॉडी लैंग्वेज का ख्याल रखना चाहिए ताकि कोई भी उन्हें छेडऩे से पहले सौ बार सोचे। उन्होंने पुलिस की इस पहल का स्वागत किया।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ संध्या मदन मोहन श्रीवास्तव ने पुलिस हमारी मदद करना चाहती है, कानून भी हमारी मदद करना चाहता है किन्तु हम ही इसे हासिल नहीं कर पा रहे। उन्होंने कहा कि पुलिस की इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम अपने माइंडसेट को कितना बदल पाते हैं। उन्होंने कहा कि आम तौर पर लोग अपने परिवार, अपने संस्थान के सम्मान की चिंता के कारण ही मामलों को पुलिस के संज्ञान में नहीं लाते। इससे एक तरफ जहां महिला लगातार उत्पीडऩ और शोषण का शिकार होती रहती है वहीं दूसरी और अपराधी का हौसला बुलंद होता चला जाता है। यदि हम पुलिस की मदद मांगेगे ही नहीं तो वह मदद कैसे कर पाएगी?
उन्होंने कहा कि निर्भया मामले के बाद कई कानून बने। दर्ज होने वाले केसों की संख्या भी बढ़ी किन्तु आज भी आधे से अधिक मामले परिवारों के भीतर या संस्थानों के भीतर दबा दिये जाते हैं। जब तक यह सब चलता रहेगा अकेली पुलिस का कानून महिला के लिए सुरक्षित परिवेश का निर्माण नहीं कर पाएगी।
महिला अधिकार से जुड़े लोगों और संस्थानों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि जब भी ऐसी कोई घटना होती है वे पुलिस और शासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगती हैं। पर कभी किसी को महिलाओं की चूकों की चर्चा करते नहीं देखा गया। और तो और आज तक हम वायलेंस को सही ढंस से परिभाषित तक नहीं कर पाए हैं। इसका दायरा बहुत बड़ा है जिसमें मानसिक उत्पीडऩ भी शामिल है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अपराध होने के बाद कौन क्या करता है इसपर जोर देने के बजाय हम एक ऐसे स्वस्थ समाज के निर्माण की पहल करें जहां महिलाएं पूर्ण सुरक्षा के साथ जी सकें। किसी के डूबने पर गोताखोर ढूंढने से अच्छा रहता है कि हम ऐसे स्थानों पर गोताखोर तैनात रखें जहां लोगों के डूब मरने की संभावना हो।
उन्होंने लोगों से पड़ोसी धर्म निभाने के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने कहा कि यदि किसी के साथ कुछ गलत हो रहा है और वह आपकी निगाह में है तो कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं कि उसकी सूचना पुलिस को दें। अब जबकि पुलिस ने ये हेल्पलाइन नम्बर जारी कर दिए हैं तो उन्हें निस्संकोच इनका प्रयोग कर जिम्मेदार शहरी होने का परिचय देना चाहिए। यही बात मोहल्ला, पास-पड़ौस तथा घर के भीतर होने वाले अन्याय और अत्याचार पर भी लागू होती है।
प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह ने अपने संबोधन में पुलिस की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की बात कही। उन्होंने कहा कि पुलिस ने एक सुविधा दी है, एक नई सेवा जारी की है। यह यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इसे लोगों तक पहुंचाएं। खासकर दूर दराज के गांव में ंरहने वाली महिलाओं को जोड़ें और इसका लाभ उनतक पहुंचाने की कोशिश करें। उन्होंने पुलिस को इस प्रयास के लिए साधुवाद देते हुए कहा कि वे अपनी जिम्मेदारी समझती हैं और पुलिस की अपेक्षाओं पर खरा उतरकर दिखाएंगी।
इस अवसर पर जिले का नाम देश और दुनिया में रौशन करने वालों का सम्मान भी किया गया। इसमें १४.५ वर्ष की अंतरराष्ट्रीय बैडमिन्टन खिलाड़ी आकर्षि कश्यप, हाल ही में एक रियलिटी शो जीतने वाली अलिशा बेहुरा, छत्तीसगढ़ महिला हैण्डबाल टीम की कप्तान पूनम यादव, राजनांदगांव से भारतीय हाकी टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली रेणु यादव, अमलेश्वर की सीजी बोर्ड टॉपर दामिनी सिन्हा, जिले की प्रथम रेलवे लोको ड्राइवर प्रतिभा बंसोड को सम्मानित भी किया गया। उन्होंने दल्ली राजहरा से धुर नक्सल क्षेत्र गुदुम तक ट्रेन लेकर जाने का श्रेय जाता है।
जल्द लांच होगा ऐप
आईजी दीपांशु काबरा ने बताया कि दिल्ली पुलिस की ‘हिम्मतÓ ऐप की तर्ज पर छत्तीसगढ़ पुलिस भी एक एंड्रायड ऐप जारी करेगी। पुलिस चाहती है कि छत्तीसगढ़ की आधी आबादी याने लगभग छह लाख महिलाओं तक पुलिस की सीधी पहुंच बने और वे हमसे बेझिझक जुड़ पाएं।

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