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स्कूल में पड़ी हुई है क्रांतिकारियों की अस्थियां

Aug 21, 2016

ashes1सरगुजा/रायपुर। रियासत कालीन सरगुजा में एक बार भीषण अकाल पड़ा था। उस समय सरगुजा के तीन वीर सपूतों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए गरीबों की मदद की थी। उन्हें इसकी सजा भी मिली और भयानक यातनाएं देते हुए उन्हें खौलते तेल के कड़ाहे में डालकर मौत की नींद सुला दिया गया। इन वीरों की अस्थियां आज भी यहां के हाईस्कूल में संरक्षित हैं। मरवाही विधायक अमित जोगी ने सरगुजा क्षेत्र के इन शहीद माटीपुत्रों की अस्थियों का विधिवत विसर्जन कर उनकी समाधि बनाने की मांग की है। अमित जोगी ने महामहिम राज्यपाल के नाम सरगुजा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
जोगी ने बताया कि सरगुजा के माटीपुत्रों लागुड नजेसीया, बिगुड बनिया एवं थिथिर उरांव ने अकाल से गरीब ग्रामीणों को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इन क्रांतिकारियों की कार्रवाई तत्कालीन सामंतों को नागवार गुजरी और इन माटीपुत्रों को विद्रोही घोषित कर दिया गया। इन शहीदों का नामोनिशान मिटाने के लिए सामंदवादी ताकतों ने इन्हें अमानवीय यातनायें देते हुए गर्म तेल की कड़ाही में डूबा दिया। इन शहीदों के बलिदान से विद्रोह न भड़के इसलिए इन शहीदों से जुड़े सभी रिकाड्र्स तथा पहचान से संबंधित दस्तावेज नष्ट करवा दिए गए। महल के भय से शहीदों के परिजन उनकी अस्थियां भी विसर्जित नहीं कर पाए। इतिहास भी उन्हें भूल गया।
ज्ञापन में श्री जोगी ने कहा कि ये शहीद आज भी लोककथाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों के दिलों में बसते हैं। इनमें से श्री लागुड और श्री बिगुड की अस्थियां आज भी अंबिकापुर बहुद्देशीय उमा शाला में रखी हुई हैं। स्कूल में एक भगोने में अस्थियों को एकत्र कर रख दिया गया है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) अपने इन माटी पुत्रों के बलिदान को इस तरह बर्बाद नहीं होने देगी। सरगुजा क्षेत्र के लोगों के साथ मिलकर पाँचों शहीदों की शहादत को ससम्मान पर्व की तरह मनाया जाएगा ताकि, ताकि छत्तीसगढ़ की आने वाली पीढ़ी इन क्रांतिकारी शहीदों से प्रेरणा ले सकें। शासन-प्रशासन का भी यह दायित्व बनता है कि वो जनता की संवेदनशीलता का आदर करे।
उन्होंने कलेक्टर से निवेदन किया कि इन शहीद माटीपुत्रों की अस्थियों का न केवल विधिवत विसर्जन करवाया जाए बल्कि उन सभी शहीद माटीपुत्रों की समाधिस्थल बनाने के लिए भूमि आवंटित कर समाधि का निर्माण भी करवाया जाए। ताकि सरगुजा के आम जन अपने माटी पुत्रों को श्रद्धांजलि देने उस स्थल पर भविष्य में एकत्र हो सके।

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