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स्वरुपानंद कालेज में आपदा प्रबंधन पर व्याख्यान

Aug 12, 2016

hansa-shuklaभिलाई। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के गणित विभाग द्वारा आपदा प्रबंधन पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में रोहित द्विवेदी सेफ्टी मैनेजर, मिडिल ईस्ट नार्थ, अफ्रीका क्षेत्र उपस्थित हुए। अध्यक्षता प्राचार्या डॉ. हंसा शुक्ला ने की। शासकीय खुर्सीपार कॉलेज की सप्रा राजनीति शास्त्र श्रीमती सुनीता मिश्रा  विशेष अतिथि थीं। संयोजक गणित विभागाघ्यक्ष श्रीमती मीना मिश्रा ने प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अपनी एवं औरों की जान माल की सुरक्षा के लिए प्रस्तुत रहने को महत्वपूर्ण बताया। 

अपने उदबोधन में श्री द्विवेदी ने कहा, जो व्यक्ति सुरक्षा के लिए अपने व्यवहारिक बुद्धि का उपयोग नहीं करता उसे ईश्वर भी नहीं बचा सकता। सूखा बाढ़ भू-स्खलन, ओलावृष्टि ज्वालामुखी फटना जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता पर पूर्वानुमान लगा के आपदाओं को पहचान कर खतरे को कम करना, जिससे कम से कम जान माल की हानि न हो व आपदा के बाद प्रभावित लोगों की व्यवस्था करना शामिल है। आपदा के बाद सबसे बड़ी चुनौती जीवनचर्या को सामान्य करने की होती है। रोहित द्विवेदी ने कहा उत्तराखंड व सुनामी के बाद के हालातों को हम भूल नहीं सकते/ सड़कों पर कचरा जमा हो गया था। मरे हुए मवेशी व मरे हुए इंसानों के शव को जलाने वाला कोई नहीं था। शव के सडऩे से पानी प्रदूषित हो रहा था व प्रदूषित पानी को पीने से बीमारियां फैल रही थी। ऐसे समय में हम जितनी जल्दी राहतकार्य शुरू करें। आपदा को युद्ध स्तर पर कैसे निपटे चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने सड़क सुरक्षा के बारे में बताते हुए कहा हमें गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट बांधना चाहिए। मोबाइल में बात करते व, इयर फोन लगा के गाड़ी नही चलाना चाहिए। दोपहिए वाहन चलाते समय हेलमेट पहन के गाड़ी चलाना चाहिए। पीछे बैठे व्यक्ति को हैलमेट लगाना चाहिए उन्होने बताया अगर कार अचानक दुर्घटना हो जाए तो पिछे सीट के ऊपर कवर निकालने से उस पर राड लगा रहता है। उसे निकालकर कांच तोड़कर बाहर आ सकते हैं। उन्होंने दुर्घटना घटने पर, भूकम्प आने पर, तेज बारिश बाढ़ के समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए विस्तार में जानकारी दी।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने गणित विभाग की समसमायिक विषय पर व्याख्यान माला का आयोजन की सराहना करते हुये कहा जब हमें मालूम होगा कि आपदा के समय हमें क्या करना हैं। तभी हम अपना बचाव कर सकते हैं व दूसरों की भी रक्षा कर सकते हैं। आपदा थोड़े समय के लिये आती है पर विनाश के चिन्ह लंबे समय के लिये छोड़ जाती हैं। अत: आपदा से बचाव के तरीके को जानना बहुत आवश्यक है।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक/प्राध्यापिकायें व छात्र-छात्रायें शामिल हुये। कार्यक्रम में मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. प्रबंधन श्रीमती खुशबू पाठक ने किया।

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