महासमुंद में अस्वच्छता की भयावह तस्वीर
महासमुंद। मच्छरों से बचने के लिए तो लोगों को मच्छरदानी लगाकर सोते देखा है पर यहां लोग मक्खियों के डर से मच्छरदानी में ही जीवन व्यतीत कर रहे हों। वे मच्छरदानी में घुसकर खाना खाते हैं, मच्छरदानी के भीतर ही कपड़े सुखाते हैं। दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक महासमुंद के जामली और कोसरंगी समेत पांच गांवों के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। पास के पोल्ट्री फार्मों की गंदगी के कारण यहां मक्खियों का जबरदस्त प्रकोप है। घर से लेकर स्कूलों की मध्यान्ह भोजन रसोई तक – हर जगह मच्छरदानी (mosquito net) का उपयोग किया जाता है। यहां तक कि गीले कपड़े सुखाने के लिए भी मच्छरदानी का प्रयोग किया जाता है वरना उसपर मक्खियां अंडे दे देती हैं, बीट कर देती हैं। यह है समस्या : जामली की हैचरी से हफ्ते में 40-50 हजार चूजे तैयार होते हैं। चूजे निकलने के बाद अंडों के छिलकों को खुले में डिस्पोज किया जाता है। कमरौद, हिच्छा और कोसरंगी के पोल्ट्री फार्म में रोजाना करीब 1500 मुर्गियां मरती हैं। उन्हें खुले में फेंक दिया जाता है।
जनस्वास्थ्य खतरे में : इलाके में डी-हाइड्रेशन और सांस की बीमारी की शिकायत बढ़ी है। स्कूलों के मध्याह्न भोजन में मक्खियों के कारण उल्टी-दस्त और टाइफाइड से पीडि़त बच्चों को आए दिन महासमुंद के अस्पतालों में दाखिल कराया जा रहा है।
स्प्रे का कोई असर नहीं : पंचायत का कहना है कि महीने में दो बार मक्खियां भगाने व मारने के लिए स्प्रे करवाए जा रहे हैं मगर कोई फायदा नहीं दिख रहा है। जामली की सरपंच कुमारी ठाकुर कहती है कि अभी स्प्रे कराए लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। आने वाले दिनों में यहां मक्खी ही चुनावी मुद्दा होगा।