मुंबई। भारत समेत दुनियाभर में कई देशों के 50 फीसदी पैरंट्स ने अपने बच्चों के 18 साल से ज्यादा या वयस्क हो जाने के बाद भी उनसे अपना आर्थिक नाता नहीं तोड़ा है। जरूरत पड़ने पर वे कई सालों से अपने बच्चों को आर्थिक मदद लगातार मुहैया करा रहे हैं। इनमें से कई बच्चों की उम्र अब 30 साल से भी अधिक हो चुकी है। 48 फीसदी पैरंट्स अपने बच्चों की करीब 12 साल पहले से, जब वे 18 साल के थे, तब से रुपये-पैसे की जरूरत को लगातार पूरा कर रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार मध्य-पूर्व और एशिया में लोग 18 साल से बड़ी उम्र के बच्चों को यूरोप और अमेरिका की तुलना में आर्थिक रूप से काफी सहयोग करते हैं। एचएसबीसी की स्टडी फेसिंग द फ्यूचर के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात में सबसे ज्यादा 79 फीसदी माता-पिता अपनी बड़ी उम्र के बच्चों को जरूरत पड़ने पर आर्थिक संसाधन मुहैया कराते हैं। इसके बाद इंडोनेशिया (77 फीसदी), मैक्सिको (59 फीसदी), मलयेशिया (57 फीसदी), चीन (55 फीसदी) और भारत (55 फीसदी) का नंबर आता है। वहीं ब्रिटेन और अमेरिका में ऐसे पैरंट्स की तादाद क्रमश: 30 फीसदी और 20 फीसदी है।
वयस्क बच्चे मांगते हैं मकान का किराया
शिक्षा के मामले में 59 फीसदी पैरंट्स अपने बच्चों का काफी सहयोग कर रहे हैं। 58 फीसदी पैरंट्स अपने वयस्क बच्चों के पानी-बिजली का बिल भर रहे हैं। घर की मरम्मत के लिए और राशन का खर्च मुहैया करा रहे हैं। 33 फीसदी पैरंट्स बच्चों के मकान का किराया भरने, उन्हें डेंटल और मेडिकल केयर के लिए धन उपलब्ध करा रहे हैं।
13 देशों के 13,122 लोग शामिल
अध्ययन में 13 देशों के 13,122 लोगों को शामिल किया गया था, जिसमें आर्जेन्टीना, चीन, फ्रांस, हॉन्ग कॉन्ग, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, सिंगापुर, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। करीब 68 फीसदी पैरंट्स अपने रिटायरमेंट फंड से बच्चे की फीस देने को प्राथमिकता देते हैं। 26 फीसदी पैरंट्स अपनी सेविंग्स से पैसा निकालकर बच्चों को देते हैं। इसके अलावा 12 फीसदी पैरंट्स ने अपने बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए और लोन लिया है।