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ड्रग्स के खिलाफ युद्ध में सबकी भागीदारी जरूरी, सशस्त्र सीमा बल में स्पर्श ने लगाया शिविर

Jun 27, 2018

Deepak Ranjan Dasभिलाई। रिसाली सेक्टर स्थित सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) क्षेत्रीय कार्यालय में ड्रग्स के उपयोग तथा इसके अवैध व्यापार के खिलाफ एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के सहयोग से आयोजित इस शिविर में डॉ आशीष जैन एवं मेडिकल जर्नलिस्ट दीपक रंजन दास ने अपने वक्तव्य रखे। स्पर्श के एजीएम अनुभव जैन ने अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं तथा विशेषताओं की जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर एसओ स्वर्णजीत शर्मा एवं डीएफओ अनिल कुमार सहित बल से जुड़े लगभग 100 सदस्य उपस्थित रहे।
डॉ आशीष जैन ने कहा कि ड्रग्स का औषधीय उपयोग होता है इसलिए उसे पूरी तरह से बैन नहीं किया जा सकता। पर उसका मात्राधिक एवं अनावश्यक प्रयोग लोगों को उसका आदी बना सकता है। इसका व्यापार चोरी छिपे किया जाता है जिसे रोका जाना जरूरी है।
डॉ जैन ने कहा कि ड्रग्स से न केवल सोचने समझने की शक्ति क्षीण होती है बल्कि शरीर को भी भारी नुकसान पहुंचता है। ड्रग्स का लगातार उपयोग मृत्यु का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स के अवैध व्यापार एवं दुरुपयोग को रोकना अकेले सरकार के बस का नहीं है। इसमें हम सबको अपनी भागीदारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि बल के जवान तो देश की सेवा कर ही रहे हैं, चिकित्सक बिरादरी भी देश की सेवा अपने ढंग से कर रही है। उन्होंने कहा कि नशामुक्त, सबल ऊर्जावान युवा ही देश को प्रगति के मार्ग पर ले जा सकते हैं।
मेडिकल जर्नलिस्ट दीपक रंजन दास ने बताया कि किशोरावस्था से युवावस्था की ओर जाने वाले बच्चे ऊर्जा एवं उत्साह से परिपूर्ण होते हैं। थ्रिल के लिए वे अंधाधुंध रफ्तार से ड्राइव करते हैं, बंजी जम्पिंग, सर्फिंग, स्ट्रीट बाइकिंग करते हैं। कुछ लोग उत्साह अतिरेक में ड्रग्स की दुनिया में घुस जाते हैं। यहां घुसना तो आसान है पर बिना चिकित्सक की मदद के यहां से निकलना मुश्किल है। श्री दास ने कहा कि देश के लिये यह परेशानी का सबब है कि ड्रग्स ने एक तरफ जहां आर्थिक रूप से सम्पन्न राज्य पंजाब में अपनी जड़ें जमा ली हैं वहीं 100 फीसदी शिक्षितों के राज्य केरल में भी तेजी से पांव पसार रही है। पंजाब में 2001 से 2013 के बीच ड्रग यूजर्स की संख्या 9 फीसदी से बढ़कर 46 फीसदी हो गई। यह बेहद चिंताजनक है। युवा शौक से मौत को गले लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने परिवार एवं आसपास के युवाओं पर नजर रखें। यदि उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन दिखता है जैसे भूख नहीं लगना, नींद नहीं आना, हमेशा गुमसुम रहना, चिड़चिड़ाना या हिंसक होना जैसे परिवर्तन दिखते हैं तो केवल डांट डपटकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री न कर लें। उन्हें तत्काल चिकित्सक के पास लेकर जाएं। उन्हें मदद की जरूरत हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि मामला ड्रग्स का निकलता है तो पुलिस को भी सूचित करें ताकि युवाओं तक ड्रग्स पहुंचाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हो सके।

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