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स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में स्वस्थ्य भारत विषय पर एक दिवसीय गोष्ठी

Dec 5, 2018

SSSSMV Swacchataभिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में एनएसएस इकाई द्वारा ‘स्वच्छ भारत, स्वस्थ्य भारत- व्यक्तिगत कर्तव्य एवं सामाजिक सहभागिता’ विषय पर एक दिवसीस विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसके सुंदरानी आयुक्त नगर निगम, भिलाई थे। अध्यक्षता डॉ. राजेश पांडेय, कुलसचिव हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने की। समन्वयक टेक्नीकल विश्वविद्यालय, डॉ. आर.पी. अग्रवाल समन्वयक रासेयो हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग, शानु मोहनन, जिला नवरत्न भारत स्वच्छता मिशन, डॉ. सुनीता मिश्रा, प्रोफेसर खुर्सीपार महाविद्यालय, डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला, प्राचार्य, स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय शामिल हुर्इं।Swacchata Sangoshthiएनएसएस प्रभारी स.प्रा. दीपक सिंह ने कहा पिछले चार वर्षों से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इन चार वर्षों में यदि हमने स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया है तो उसके पीछे कारण क्या है? इसके लिये नागरिक व प्रशासन किस हद तक जिम्मेदार हैं। इस संगोष्ठी के माध्यम से समस्या का हल निकालने का प्रयास किया जायेगा।
प्राचार्य डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा हमेशा बात होती है कि विदेश साफ-सुथरा है व भारत में गंदगी है परन्तु इस पर विचार नहीं किया जाता इसे गंदा किसने बनाया है। हम स्वयं व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी उठायें व अपने आस-पास को गंदा ना करें। अपने आस-पास के लोगों को सफाई रखने के लिये प्रेरित करें तो भारत भी स्वच्छ व साफ-सुथरा हो सकता है।
आयुक्त एसके सुंदरानी ने कहा शहर को साफ रखना है तो कचरे का उत्पादन कम करना होगा। गीले कचरे से हम खाद बना सकते हैं। सूखे कचरे पॉलिथीन, कागज और कांच के टुकड़े आदि को बेच सकते है ये उपयोग में लायी जा सकती हैं। पुराने समय में व अब भी गांव के घरों के पीछे घूरवा (कचरा फेकने का बड़ा गड्ढ़ा) होता है। जिसमें गाय के मल-मूत्र सहित घर के गीले कचरे को सड़ने के लिये डाल देते हैं, वही खाद के रूप में उपयोग किया जाता था। छोटे-छोटे निर्णय से बड़ा-बड़ा परिवर्तन हो सकता है इसलिये रिसायकल को बढ़ावा दें। मछली बाजार का कचरा कम्पोस्टिंग नहीं हो सकती उसका प्रयोग हमने बतख पालन में उपयोग के लिये प्रेरित किया, अगर सोच होगी तो रास्ता जरूर निकलेगा।
डॉ. एस.आर. ठाकुर ने कहा स्वच्छता को हमें मन से अपनाना होगा तब तक हमारे दिमाग में स्वच्छता नहीं आयेगी। तब तक देष स्वच्छ नहीं होगा। बिना आदेश बिना निर्देष के हम संकल्प लें आज के बाद हम कचरा नहीं फेकेगें तो निगम को कचरा साफ करने की आवश्यकता नहीं होगी। किसी भी कार्यक्रम में पॉलीथीन, डिस्पोजल, ग्लास, प्लेट का उपयोग नहीं करेंगे। हम कांच के गिलास में पानी दे सकते हैं। चार साल पहले के अबके भारत में अंतर है आज पालीथीन में सब्जी ले जाने में डर लगता है।
डॉ. राजेश पांडेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक आवश्यक है। स्वच्छ भारत अभियान को चलाये चार वर्ष हो गये हैं। व्यक्तिगत प्रयास, एनजीओ व शासन के प्रयास के बावजूद देश को स्वच्छ नहीं बना पाये हैं। लोग अशिक्षा के कारण नहीं जानते गंदगी से कितनी बिमारियां फैलती हैं, देश प्रेम के कारण सैनिक सीमा में शहीद होता है। हम अपने शहर को साफ रख अपने देश प्रेम का परिचय दे सकते हैं। जब तक देश के प्रति सम्मान की भावना विकसित नही होगी तब तक देश स्वच्छ नहीं हो सकता। पहले झाड़ू पकड़ने में शर्म महसूस होती थी, अब झाड़ू लगाते अपने मित्र सोशलमीडिया में डालते गर्व महसूस करते हैं यह भी एक उपलब्धि है।
श्री आर.पी. अग्रवाल ने कहा पहले स्वच्छता को धर्म से जोड़ा गया था। अब इसे अभियान के रूप में ले रहे हंै पर स्थिरता नहीं है, जागरूकता के लिये स्थिरता का होना आवश्यक है। गंदगी करने पर पेनाल्टी होनी चाहिये जो आदत बिगड़ी हुई है वह आसानी से सुधरेगी नहीं।
डॉ. सुनीता मिश्रा ने कहा शासन प्रशासन पर निर्भर ना रहकर हम स्वच्छता की शुरूआत स्वयं करें। श्रोताओं द्वारा प्रश्न पूछे गये जिनका जवाब श्री शुक्ला व आयुक्त सुंदरानी ने दिया।
डॉ. पूनम निकुंभ, विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग ने पूछा लोग प्लॉट ले उसे छोड़ देते हैं उसमें पेड़ पौधे उग जाते हैं सांप आदि निकलता है। लोग कचरा फेकते हैं निगम खाली प्लाट के बारे में कोई नियम क्यों नहीं बनाती।
वहीं श्रीमती पूनम शुक्ला स.प्रा शिक्षा विभाग ने बताया बार-बार स्वच्छता के रूप में शिकायत करने के बाद कार्यवाही नहीं हुई बल्कि लिख के आ गया काम हो गया है।
इंदुआईटी की व्याख्याता ने कहा नाली साफ करते हैं, तो नाली से निकला कचरा बाहर ही छोड़ देते हैं इससे बीमारी फैलने का डर रहता है। अच्छा होता नाली साफ होता व कचरा भी उठा लिया जाता।
निष्कर्ष यही निकला क्षेत्र व संसाधन सीमित हैं पर एकता में बल है अगर हम गंदगी न करें तो स्वच्छ भारत मिशन में होने वाला खर्च देश के विकास में लग सकता है। आज के युवा जागरूक हैं और स्वच्छ भारत अभियान की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है।
इस अवसर पर स्वरूपानंद महाविद्यालय के विद्याथिर्यों द्वारा ‘स्वच्छ भारत’ विषय पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया जिसके माध्यम से संदेश दिया गया हरे-हरे पान का कमाल मेरे देश का कोना लाल-लाल।
मंच संचालन श्रीमती नीलम गांधी विभागाध्यक्ष वाणिज्य ने किया। कार्यक्रम में दुर्ग, भिलाई महाविद्यालय के एनएसएस संयोजक व विद्यार्थी सम्मीलित हुये।

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