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दीपक चंद्राकर को बहुमत सम्मान : किसी ने बताया साधक तो किसी ने उद्यमी

Jan 14, 2019

Deepak Chandrakar bestowed with Ramchandra Deshmukh Bahumat Awardभिलाई। लोककला साधक दीपक चंद्राकर को दाऊ रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान से नवाजा गया।  इस अवसर पर उनके गुरू पं. रामहृदय तिवारी एवं शिष्य कुंवर सिंह निषाद भी मौजूद थे। रविवार को भिलाई निवास के बहुउद्देश्यीय सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध पत्रकार एवं प्रखर वक्ता डॉ हिमांशु द्विवेदी ने की। साहित्य समालोचक डॉ जय प्रकाश साव कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे। श्री साव ने जहां श्री चंद्राकर को कला उद्यमी बताया वहीं डॉ द्विवेदी ने उन्हें कला साधक बताया।
Bahumat-Samman-Audience Bahumat-Samman Ramchandra Deshmukh Bahumat Sammanडॉ हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि कला बेशक उद्यम है पर इसका लाभ रचनात्मकता का संतोष है। जबकि उद्यमी का अंतिम लक्ष्य स्वयं के लिए लाभ अर्जित करना होता है। कलाकार केवल अपनी खुशी के लिए नहीं बल्कि पूरी मानव जाति को आनंदित करने के लिए उद्यम करता है इसलिए उसे साधक ही कहा जाना बेहतर होगा।
एक कलाकार के संघर्ष की चर्चा करते हुए डॉ द्विवेदी ने कहा कि मनुष्य का जीवन ही संघर्ष है। मनुष्य का जन्म संघर्ष से होता और मृत्यु भी। संस्कार और संस्कृति मनुष्य को मनुष्य बनाने के उपक्रम मात्र हैं। उन्होंने कहा –
‘अब हवाएं करेंगी रोशनी का फेैसला
जिस दिए में जान होगी वही रह जाएगा’
इससे पूर्व डॉ जयप्रकाश साव ने कहा कि लोककला का संबंध केवल गांवों से नहीं है। लोक कला गांवों से चलकर शहर और शहरों से भी निकलकर अन्य राज्यों में फलती फूलती और विकसित होती है। इसके स्वरूप में परिवर्तन होते रहते हैं। 100 साल पहले असम के चाय बागानों में जाकर बस जाने वाली छत्तीसगढ़ के लोगों ने अपनी लोककला को वहां भी जीवित रखा है हालांकि उसमें अब असम की मिट्टी की खुशबू भी घुल मिल गई है। वहां की लोकसंस्कृति को हम असमिया छत्तीसगढ़ी कह सकते हैं।
डॉ जयप्रकाश ने कहा कि लोककलाकार समाज को सौन्दर्य का अमूल्य उपहार देते हैं। दीपक चंद्राकर की कला साधना इससे भी एक कदम आगे चलकर उसे उद्यमिता का स्वरूप प्रदान करती है। पं. रामहृदय तिवारी के इस शिष्य ने लोककला और मंचीय कला की कार्यशालाओं से ऐसे कलाकार तैयार किए जिन्होंने इसे अपनी आजीविका बना लिया।
दीपक चंद्राकर के शिष्य एवं गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने इस अवसर पर कहा कि उन्होंने गुरू और गुरू के गुरू दोनों से तालीम हासिल की और आज जो कुछ भी हैं उन्हीं की सीख की वजह से हैं।
दाऊ रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान से विभूषित दीपक चंद्राकर ने कहा कि आज अपने गुरू पं. रामहृदय तिवारी एवं शिष्य कुंवर सिंह निषाद की उपस्थिति में उनका सम्मान किया जा रहा है। उनके लिए यह एक बेहद भावुक क्षण है। उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढऩे के लिए जुनून होना चाहिए। पं. रामहृदय तिवारी से होकर यह उन तक और उनके माध्यम से और भी आगे तक जाती है। उन्होंने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को लोककला से जोड़ा और उन्हें रोजगार दिया। उन्होंने हवाओं को चुनौती देते हुए कहा –
‘आंधियों को बहुत है दीपक बुझाने का शौक,
हो हौसला तो एक दीपक जला कर दिखाए।’
आरंभ में आयोजन के सूत्रधार विनोद मिश्र ने लोकरंग अर्जुन्दा एवं दीपक चंद्राकर के विषय में सारगर्भित जानकारी प्रदान की। मंच पर अरुण श्रीवास्तव भी मौजूद थे। इस अवसर पर बहुमत पत्रिका का विमोचन डॉ हिमांशु द्विवेदी, डॉ जयप्रकाश, ने डॉ रक्षा सिंह, विनोद मिश्र, अरुण श्रीवास्तव एवं कुंवर सिंह निषाद के सहयोग से किया।
संचालन सुमन कन्नौजे ने किया। इस अवसर पर वयोवृद्ध नाट्य निर्देशक पं. रामहृदय तिवारी, भिलाई महापौर एवं विधायक देवेन्द्र यादव, धर्मेन्द्र यादव, पूर्व विधायक भजन सिंह निरंकारी, प्रतिमा चंद्राकर, बीएसपी अफसर संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र बंछोर, डॉ सुनीता वर्मा, शिक्षाविद आईपी मिश्रा, अल्पसंख्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह केम्बो, बृजेश बिचपुरिया, राजेन्द्र सोनबाइर, डॉ तरूण नायक, डॉ सोनाली चक्रवर्ती, प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच सहित शहर के कलाप्रेमी बुद्धिजीवि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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