भिलाई। आॅटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए सेक्टर-4 में संचालित अर्पण स्कूल ने विगत दिनों अपना सातवां स्थापना दिवस मनाया। इस शाला को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सहयोग एवं संबल प्रदान करने वाले लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। शाला की संचालक श्रीमती शांता नन्दी ने इस अवसर पर कहा कि इन बच्चों के लिए एक सर्वसुविधायुक्त छात्रावास की व्यवस्था करना उनका सपना है। वे उम्मीद करती हैं कि अंतिम सांस लेने से पहले वे इस सपने को पूरा कर पाएं।इन विशेष बच्चों की देखभाल करना एवं उन्हें जीवनोपयोगी शिक्षा प्रदान करना एक कठिन चुनौती है। इससे भी बड़ी चुनौती है इन बच्चों का पुनर्वास। इनमें से अधिकांश के परिवार इन्हें यहां भेजकर भूल जाना चाहते हैं। फिलहाल यह डे केयर सेन्टर है। अधिकांश बच्चे यहां आते तो खुशी खुशी हैं पर वापस घर लौटकर जाना नहीं चाहते। अपना घर उनके लिए किसी जेल से कम नहीं जहां अकसर उन्हें पिछले कमरों में कैद करके रखा जाता है।
शांता ने बताया कि इन बच्चों में भी प्रतिभा है। चित्रकारी, बुनाई कढ़ाई, दस्तकारी की इन बच्चों में विलक्षण प्रतिभा देखी जाती है। हमारी पूरी कोशिश होती है कि वे अपने निजी कार्यों को करने के साथ साथ कुछ रोजगार करने में भी आत्मनिर्भर हों। पर इसके साथ ही इन्हें एक सुरक्षित आवास की भी जरूरत होती है क्योंकि समाज में ऐसे गिद्धों की कमी नहीं जो इनकी मानसिक स्थिति का फायदा उठाने की ताक में रहते हैं।
फिलहाल इन बच्चों को स्पेशल एजुकेटर रेखा यादव, डांस टीचर ज्योति सिंह, स्पीच थेरेपिस्ट अर्चना, क्राफ्ट टीचर अर्चना प्रशिक्षण दे रहे हैं। लेखाकार रूपाली मिश्रा, फिजियोथेरेपिस्ट राकेश पाल, रसोइया माया सिंह, ड्राइवर माखनलाल और सहयोगी मोनिका इनकी देखरेख में विशेष भूमिका निभाते हैं।
शांता ने बताया कि इस स्कूल को कोई भी सरकारी सुविधा या सहायता नहीं मिलती। यहां का पूरा कार्य एमजे कालेज की डायरेक्टर श्रीलेखा विरुलकर, डॉ संतोष राय इंस्टीट्यूट, आरएस अग्रवाल, नत्थूलाल अग्रवाल, श्री डे, श्री सिंह, क्षिप्रा आर्या, सत्यदीप नायडू, अरुण कुमार सिसोदिया, ज्योति पुरंग जैसे स्वेच्छा सेवियों और दान दाताओं के सहयोग से चलता है। यदि शासन पर्याप्त स्थान एवं भवन प्रदान करे तो उन्हें उम्मीद है कि इन बच्चों को एक बेहतर कल मिल सकेगा।