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साहित्यकारों ने रचना के साथ ही वृक्षारोपण भी कर पर्यावरण संरक्षण का दिया सन्देश

Jul 18, 2019

भिलाई। माँ राज-राजेश्वरी मंदिर, ओवर ब्रिज के नीचे, पॉवर हाउस, भिलाई के प्रांगण में प्रख्यात साहित्यकार सुश्री नीता काम्बोज के संयोजन और साहित्य सृजन परिषद्, भिलाई (जिला दुर्ग) के तत्वाधान में पर्यावरण संरक्षण विषय पर परिचर्चा की गई। तदुपरांत सरस काव्यगोष्ठी और मंदिर प्रांगण में वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया।  कार्यक्रम की शुरुवात में सर्वप्रथम माँ राज राजेश्वरी की पूजा अचर्ना कर उनका आशीर्वाद सभी रचनाकारो और अतिथियों ने लिया। काव्यगोष्ठी के संचालन का दायित्व साहित्य सृजन परिषद के सचिव गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश ने निभाया।भिलाई। माँ राज-राजेश्वरी मंदिर, ओवर ब्रिज के नीचे, पॉवर हाउस, भिलाई के प्रांगण में प्रख्यात साहित्यकार सुश्री नीता काम्बोज के संयोजन और साहित्य सृजन परिषद्, भिलाई (जिला दुर्ग) के तत्वाधान में पर्यावरण संरक्षण विषय पर परिचर्चा की गई। तदुपरांत सरस काव्यगोष्ठी और मंदिर प्रांगण में वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात में सर्वप्रथम माँ राज राजेश्वरी की पूजा अचर्ना कर उनका आशीर्वाद सभी रचनाकारो और अतिथियों ने लिया। काव्यगोष्ठी के संचालन का दायित्व साहित्य सृजन परिषद के सचिव गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश ने निभाया। Neeta-Kamboj भिलाई। माँ राज-राजेश्वरी मंदिर, ओवर ब्रिज के नीचे, पॉवर हाउस, भिलाई के प्रांगण में प्रख्यात साहित्यकार सुश्री नीता काम्बोज के संयोजन और साहित्य सृजन परिषद्, भिलाई (जिला दुर्ग) के तत्वाधान में पर्यावरण संरक्षण विषय पर परिचर्चा की गई। तदुपरांत सरस काव्यगोष्ठी और मंदिर प्रांगण में वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया।  कार्यक्रम की शुरुवात में सर्वप्रथम माँ राज राजेश्वरी की पूजा अचर्ना कर उनका आशीर्वाद सभी रचनाकारो और अतिथियों ने लिया। काव्यगोष्ठी के संचालन का दायित्व साहित्य सृजन परिषद के सचिव गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश ने निभाया।साहित्यकारों ने अलग अलग विषयों पर अपनी रचनाएं पढ़ी पर साथ ही साथ पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देती रचनाओं से से भी सबको प्रेरित किया। प्रोफेसर साकेत रंजन ने बादलों का स्वागत करते हुआ कहा कि झुलसी धरती के दिन लगे लौटने, बादल आज फिर हो चले हैं घने!! सुश्री नीता कम्बोज ने ओजोन परत की दुदर्शा पर कहा कि वाह रे इंसान ओजोन में भी कर दिया छेद। देख लेना ग्लोबल वार्मिंग करेगी तुम पर केस। डॉ. ओमप्रकाश देवांगन देवझ् ने पेड़ लगाने का सन्देश देते हुए कहा कि जिंदगी तेरे साथ किये हर वादे को निभा रहा हूँ मैं। जिंदगी में सुख की खातिर कुछ पौधे लगा रहा हूँ मैं। नौशाद सिद्दीकी ने भी कहा आओ मिलकर पौधा लगायें हम। चारों तरफ हरियाली फैलायें हम। एन. एल. मौर्या ने अपनी रचना में कहा वसुधा को वनों से आच्छादित कर, विश्व मानव को अमर करना है। आने वाली पीढि?ों के लिए शुद्ध हवा विशुद्ध पानी,विरासत में छोड?ा है। सुश्री नीलम जायसवाल ने बरसात के प्रतीक का उपयोग कर कहा कि पानी में भीगे बिना, कहाँ मजा बरसात! वृक्ष लगाओ एक तुम, तभी बनेगी बात।
सरस काव्यगोष्ठी के बाद अतिथियों और रचनाकारों ने मंदिर प्रांगण में अनेक प्रकार के वृक्ष लगाकर उसे सहेजने और संवारने का संकल्प लिया। और अंत में साहित्य सृजन परिषद् के अध्यक्ष एन. एल. मौर्य ने धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में एन. एल. मौर्य अध्यक्ष साहित्य सृजन परिषद, सुश्री नीता काम्बोज उपाध्यक्ष साहित्य सृजन परिषद के साथ ही दुर्ग जिले के प्रख्यात साहित्यकार प्रोफेसर साकेत रंजन ‘प्रवीरझ्, शेख निजामुद्दीन राही, इसराइल शाद, डॉ बीना सिंह, डॉ नरेन्द्र देवांगन देव, बुद्धसेन शर्मा, मुकेश भटनागर आवाज, सुश्री माला सिंह, सुश्री नीलम जायसवाल, गणेश कुमार गंधर्व, उदय सिंह, नौशाद अहमद सिद्दीकी, प्रदीप पाण्डेय, ओमवीर कर्ण, गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश के साथ साथ ही भिलाई के प्रख्यात समाजसेवी प्रभुनाथ मिश्रा, सुरेन्द्र पाण्डेय, हेमनारायण सिंह और छत्तीसगढ़ी फिल्मो की प्रख्यात अभिनेत्री व रचनाकार सुश्री सान्या काम्बोज और सुश्री ओशिन काम्बोज विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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