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जब महिला ने झाड़ कर उतारा तांत्रिक का भूत, तो देखिये क्या हुआ

Sep 3, 2019

भिलाई। ‘मोर ऊपर भूत जब चढ़ही तब चढ़ही, पहिली तोर भूत ल उतार दूं’ कहते हुए एक महिला झाड़-फूंक करने वाले ओझा पर ही पिल पड़ती है। इसी तरह दारू-मुरगा-अंडा खाने के लिए किसी भी महिला को टोनही बताकर उसे प्रताड़ित करना और उसके परिवार से पैसे ऐंठने वालों के बारे में भी समाज को आगाह किया गया। मां कल्याणी शीतला मंदिर मरौदा टैंक के मंच पर ‘स्वयंसिद्धा’ ने लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से इसे प्रस्तुत किया। इसमें अभिनय किया यहीं के 11वीं-12वीं के स्कूली बच्चों ने।भिलाई। ‘मोर ऊपर भूत जब चढ़ही तब चढ़ही, पहिली तोर भूत ल उतार दूं’ कहते हुए एक महिला झाड़-फूंक करने वाले तांत्रिक पर ही पिल पड़ती है। इसी तरह दारू-मुरगा-अंडा खाने के लिए किसी भी महिला को टोनही बताकर उसे प्रताड़ित करना और उसके परिवार से पैसे ऐंठने वालों के बारे में भी समाज को आगाह किया गया। मां कल्याणी शीतला मंदिर मरौदा टैंक के मंच पर ‘स्वयंसिद्धा’ ने लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से इसे प्रस्तुत किया। इसमें अभिनय किया यहीं के 11वीं-12वीं के स्कूली बच्चों ने।Sharabkhori भिलाई। ‘मोर ऊपर भूत जब चढ़ही तब चढ़ही, पहिली तोर भूत ल उतार दूं’ कहते हुए एक महिला झाड़-फूंक करने वाले ओझा पर ही पिल पड़ती है। इसी तरह दारू-मुरगा-अंडा खाने के लिए किसी भी महिला को टोनही बताकर उसे प्रताड़ित करना और उसके परिवार से पैसे ऐंठने वालों के बारे में भी समाज को आगाह किया गया। मां कल्याणी शीतला मंदिर मरौदा टैंक के मंच पर ‘स्वयंसिद्धा’ ने लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से इसे प्रस्तुत किया। इसमें अभिनय किया यहीं के 11वीं-12वीं के स्कूली बच्चों ने।अंधश्रद्धा पर प्रहार करते इन चुटीले संवादों पर दर्शकों ने खूब ठहाके लगाए और तालियों की गड़गड़ाहट से अपना समर्थन दिया। ‘स्वयंसिद्धा’ की संचालक डॉ सोनाली चक्रवर्ती द्वारा लिखित इस नाटक ‘नासूर’ को प्रस्तुत करने के लिए बच्चों की कार्यशाला लगाई गई थी। श्रमिक बहुल बस्ती के बच्चों ने निरंतर अभ्यास से इसकी जीवंत प्रस्तुति दी।
लाइट एंड साउंड शो के अन्य टुकड़ों में घर में शौचालय की आवश्यकता, आवारा मजनुओं से बच्चियों की सुरक्षा, फोन रिचार्ज और मामूली उपहारों से भोली भाली लड़कियों को फांसना जैसे विषयों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। साथ ही समाज में बढ़ते इन विकारों से बचने के तरीके भी बताए गए। इस नाटक का विषय इन बच्चों ने ही अपने आसपास के माहौल से चुना था जिसपर उन्होंने ‘सोनाली दीदी’ की मदद से स्क्रिप्ट तैयार किया।
इससे पहले दोपहर को एक नुक्कड़ नाटक खेला गया। काले कपड़ों में कलाकार तीजहारीनों के बीच पहुंचे और दहेज पर कड़ा प्रहार करते हुए नाटक प्रस्तुत किया। नाटक से यह संदेश दिया गया कि दहेज के पैसे यदि बेटी की शिक्षा पर खर्च किया जाए तो नतीजे बेहतर आएंगे। बेटी सभी को प्यारी होती है पर उसकी शादी और उससे जुड़े खर्च परिवारों का दम निकाल देते हैं। इसलिए बेटी की परवरिश भी बेटे जैसी हो और विवाह दो समान लोगों के बीच का रिश्ता हो। कोई बड़ा नहीं-कोई छोटा नहीं। किसी को गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं।
भिलाई। ‘मोर ऊपर भूत जब चढ़ही तब चढ़ही, पहिली तोर भूत ल उतार दूं’ कहते हुए एक महिला झाड़-फूंक करने वाले ओझा पर ही पिल पड़ती है। इसी तरह दारू-मुरगा-अंडा खाने के लिए किसी भी महिला को टोनही बताकर उसे प्रताड़ित करना और उसके परिवार से पैसे ऐंठने वालों के बारे में भी समाज को आगाह किया गया। मां कल्याणी शीतला मंदिर मरौदा टैंक के मंच पर ‘स्वयंसिद्धा’ ने लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से इसे प्रस्तुत किया। इसमें अभिनय किया यहीं के 11वीं-12वीं के स्कूली बच्चों ने।मुख्य अतिथि सांसद विजय बघेल ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए अपने उद्बबोधन में कहा कि सोनाली मैडम श्रमिक बस्तियों के बच्चों को शिक्षित कर एवं व्यक्तित्व विकास की प्रशिक्षण देकर छत्तीसगढ़ की माटी की सच्ची सेवा कर रही है। इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता है कि आने वाली पीढ़ी को शिक्षित एवं जागरूक किया जाए। यहां के बच्चों को मुख्यधारा के लिए तैयार किया जा रहा है।
बच्चों ने दो नृत्य भी प्रस्तुत किए- ‘जीवन सवार लूँ’ एवं ‘छत्तीसगढ़ की माटी के रंग’। नृत्य निर्देशक थे दामिनी यादव एवं योगेश्वर साहू। वेशभूषा एवं केशसज्जा दामिनी यादव, बिपाशा हलदर, रूमा वर्धन, सोमा बोस, मधुरिमा राय, रीना राय एवं सोमाली शर्मा ने की। क्रिएटिव मेकअप से बच्चो को सर से पैर तक बदल देने वाले रूपसज्जाकार थे भाविक रूपड़ा एवं जगन्नाथ साहू।
कार्यक्रम में संरक्षक के रूप में रविंद्र साहू, संदीप चक्रवर्ती, संतोष रावत, अलख यादव, नगीना यादव, मंदिर समिति अध्यक्ष अरुण वर्मा एवं शैली शिंदे का विशेष सहयोग रहा। सांसद विजय बघेल ने डॉ. सोनाली चक्रवर्ती को सम्मानित किया एवं मंदिर समिति ने श्रीफल, स्मृति चिन्ह के साथ तीजा लुगरा भी भेंट किया।
अभिभावको ने कहा कि हम तो अपने बच्चे को ही नहीं पहचान पाए। हमें तो पता भी नहीं था कि हमारा बच्चा ऐसे नृत्य और अभिनय भी कर सकता है।भिलाई। ‘मोर ऊपर भूत जब चढ़ही तब चढ़ही, पहिली तोर भूत ल उतार दूं’ कहते हुए एक महिला झाड़-फूंक करने वाले तांत्रिक पर ही पिल पड़ती है। इसी तरह दारू-मुरगा-अंडा खाने के लिए किसी भी महिला को टोनही बताकर उसे प्रताड़ित करना और उसके परिवार से पैसे ऐंठने वालों के बारे में भी समाज को आगाह किया गया। मां कल्याणी शीतला मंदिर मरौदा टैंक के मंच पर ‘स्वयंसिद्धा’ ने लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से इसे प्रस्तुत किया। इसमें अभिनय किया यहीं के 11वीं-12वीं के स्कूली बच्चों ने।

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