भिलाई। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना के तहत गोबर-गौमूत्र खरीदने का फैसला किया है। इस एक महत्वाकांक्षी फैसले से एक पंथ कई काज सिद्ध होंगे। नरवा-गरुआ-घुरवा-बाड़ी योजना को इससे काफी बल मिलेगा। बूढ़ी-बांझ मवेशियों की अब उपेक्षा नहीं होगी। शहरी सड़कों पर भटकते मवेशी भी अब कम दिखाई देंगे। गोबर खाद से बाड़ियों में आर्गनिक फल सब्जियों का उत्पादन होगा जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। गोग्राम स्वावलम्बन अभियान मंच के प्रांत संरक्षक बिसरा राम यादव ने कहा कि इससे एक तरफ जहां किसानों की माली हालत सुदृढ़ होगी वहीं गौवंश को स्लाटर हाउस जाने से बचाया जा सकेगा।श्री यादव ने कहा कि गांवों की सबसे बड़ी समस्या है रोजगार के नए साधनों की कमी। पारम्परिक खेती महंगी पड़ती है और किसान साल भर मेहनत करने के बाद भी खाली हाथ रह जाता है। गांवों से पलायन होता है तो शहरों में भीड़ बढ़ती है। छत्तीसगढ़ की ग्रामोन्मुखी सरकार ने इस स्थिति को बदलने की मंशा तो पहले ही जतला दी थी, अब इसपर ठोस कार्यवाही प्रारंभ हो रही है। हरेली से यह योजना प्रारंभ हो रही है। इसके तहत गोठान एवं गौपालक किसानों से गोबर की सीधी खरीदी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि मंच ने पिछले वर्ष नवम्बर में इसके लिए बड़ा अभियान चलाया गया था। सभी जिला मुख्यालयों से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया था। इसमें गोबर और गौमूत्र को क्रमश: 5 रुपए एवं 10 रुपए प्रति किलो खरीदने की मांग की गई थी। साथ ही यह सुझाव दिया गया था कि रासायनिक खाद पर दी जाने वाली भारी भरकम सब्सिडी को समाप्त कर दिया जाए। इससे किसान गोबर खाद का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। जैविक खेती का विकास होने से किसान को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और भूमि का क्षरण भी कम होगा। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 4 नवम्बर को ज्ञापन सौंपा गया था। इस वर्ष 22 नवम्बर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।