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योग को सिर्फ एक दिन करने के बजाय अपने जीवन का अंग बनाएं – डॉ अरूणा पल्टा

Jun 22, 2020

Hemchand Yadav University Yoga Divasदुर्ग। योग एवं मेडिटेशन को केवल योगदिवस के दिन ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीवन काल के दौरान अंगीकृत करना चाहिए। ये उद्गार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने विश्व योग दिवस पर व्यक्त किये। डॉ पल्टा विश्वविद्यालय द्वारा विश्व योगा दिवस 2020 के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाईन योग दिवस समारोह को मुख्य वक्ता के रूप संबोधित कर रही थीं। लाफ्टर थेरेपी की महत्ता पर बोलते हुए डॉ पल्टा ने कहा कि प्रतिदिन हंसना हमारे लिए आवश्यक है। हंसने के दौरान शरीर में होने वाली आंतरिक क्रियाओं से शरीर में ताजगी एवं स्फूर्ति महसूस होती है। बड़ीमात्रा में ऑक्सीजन शरीर में प्रवेश करती है इससे मस्तिष्क के सुचारू संचालन में मदद मिलती है। इससे पूर्व समारोह के आरंभ में अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ प्रशान्त श्रीवास्तव ने योग दिवस की महत्ता तथा जीवन में मेडिटेशन तथा तनाव प्रबंधन के महत्व की आवश्यकता की रूपरेखा प्रस्तुत की। डॉ पल्टा के व्याख्यान के पश्चात् पंताजली योग समिति दुर्ग के योग प्रशिक्षक उद्धव साहू, श्री वैष्णव तथा श्री गुप्ता ने योगाभ्यास कराया। ऑनलाईन समारोह में प्रतिभागी दुर्ग विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालयों के समस्त प्राचार्य, चयनित प्राध्यापक, एनएसएस समन्वयकों तथा क्रीड़ा अधिकारियों ने प्रशिक्षणों के साथ-साथ योग क्रियाओं का अनुसरण किया।
योगाभ्यास के पश्चात् पहले आमंत्रित व्याख्यान स्वर्णभूमि प्रोजेक्ट, रायपुर के डायरेक्टर के. के. नायक ने “स्ट्रेसमैनेजमेंट“ पर रोचक व्याख्यान दिया। श्री नायक के अनुसार मानसिक तनाव का प्रमुख कारण हमारी महात्वाकांक्षा होती है। कम समय में ज्यादा हासिल करने की प्रकृति तथा उस लक्ष्य को हासिल करने में हमारे प्रयास में कमी ही तनाव का प्रमुख कारण है। हमें जिस चीज से मानसिक तनाव होता है उसका नजरअंदाज करना चाहिए। हमारे लिए कोई दूसरा मानसिक तनाव प्रबंध नहीं कर सकता। हमें स्वयं इसके लिए प्रयास करना होगा।
हार्टफुलनेस संस्था के जोनल कार्डिनेटर डॉ एस.डी. देशमुख ने मेडिटेशन के महत्व पर बहुत ही अच्छी जानकारी दी। उन्होंनें बताया कि मेडिटेशन के नियमित करने से मस्तिष्क नियंत्रित रहता है। हमें किसी भी बात पर जल्दी गुस्सा नहीं आता। जीवन को जीने का नजरिया बदल जाता है। हमारी सोच धनात्मक हो जाती है। डॉ देशमुख ने उपस्थित प्रतिभागियों को शरीर को तनाव अथवा थकान से रिलेक्स होने का अभ्यास भी कराया।
समारोह के अंत में विश्वविद्यालय के एन.एस.एस. समन्वयक डॉ आर.पी. अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सी.एल.देवांगन, उपकुलसचिव भूपेन्द कुलदीप, डॉ राजमणि पटेल, सहायक कुलसचिव डॉ सुमीत अग्रवाल, हिमांशु शेखर मंडावी, ए.आर.चौरे, स्पोर्ट्स संचालक शारीरिक शिक्षा विभाग डॉ ललित प्रसाद वर्मा, वित अधिकारी श्रीमती ज्योत्सना शर्मा सहित 100 से अधिक महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापक, एन.एस.एस. समन्वयक तथा क्रीडाअधिकारी उपस्थित थे।

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