दुर्ग विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स वर्क हेतु ऑनलाईन कार्यशाला आरंभ
दुर्ग। शोधकर्ताओं को शोध कार्य इस प्रकार करना चाहिए कि वह समाज के हित में हो। केवल पीएचडी उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् आलमारी में बंद शोध कार्य का कोई औचित्य नहीं होता। ये उद्गार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने व्यक्त किये। डॉ पल्टा आज दुर्ग विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी विद्यार्थियों हेतु आवश्यक कोर्स वर्क से संबंधित ऑनलाईन कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रही थीं। उन्होंने शोधकर्ताओं से आह्वान किया कि वे ऑनलाईन कार्यशाला में रूचि लेकर सहभागिता करें। किसी भी शोध कार्य को पूर्ण करने में ईमानदारी एवं समर्पण सफलता के मूल मंत्र है। 10 दिवसीय कार्यशाला के आरंभ में दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने कार्यशाला की महत्ता एवं उसके 10 दिवसीय रूप-रेखा पर प्रकाश डाला। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यशाला के दौरान यूजीसी द्वारा इसी वर्ष जोड़े गये नये पाठ्यक्रम पर केन्द्रित व्याख्यान 24 जून तक प्रतिदिन 3.00 से 5.00 बजे तक आयोजित होंगे। इन व्याख्यानों को ऑनलाईन प्रस्तुत करने वाले प्राध्यापकों में डॉ उषा किरण अग्रवाल प्रभारी प्राचार्य शास. कन्या महाविद्यालय, देवेन्द्र नगर, रायपुर, डॉ प्रीता लाल, सहा. प्राध्यापक, अर्थशास्त्र, शासकीय राजीव गांधी महाविद्यालय, सिमगा, डॉ इमतियाज अहमद आयुष विश्वविद्यालय, रायपुर, डॉ सुपर्ण सेन गुप्ता, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, एवं डॉ प्रशान्त कुमार श्रीवास्तव, अधिष्ठाता छात्र कल्याण हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग शामिल है।
दुर्ग विश्वविद्यालय के सहा. कुलसचिव (अका.) डॉ सुमीत अग्रवाल ने बताया कि इस कार्यशाला में दुर्ग विश्वविद्यालय के लगभग 225 शोध विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं। डॉ अग्रवाल के अनुसार विश्वविद्यालय द्वारा विषय विशेषज्ञों से उनके आमांत्रित व्याख्यानों पर आधारित नोट्स उपलब्ध कराने का आग्रह भी किया जा रहा है। कार्यशाला के समापन अर्थात् 24 जून को प्रतिभागी शोधकर्ताओं की वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित ऑनलाईन परीक्षा भी आयोजित की जायेगी। परीक्षा में प्रतिभागियों के प्रदर्शन के अनुसार उन्हें प्रमाण पत्र वितरित किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि प्रतिदिन आयोजित हो रही ऑनलाईन कार्यशाला में प्रतिभागी बड़ी संख्या में प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा का समाधान कर रहे हैं। विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा संपूर्ण कक्षाओं के दौरान मॉनीटरिंग कर रही है, इस कार्यशाला में 10 दिवसों में प्रतिभागियों की शत्-प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।