भिलाई। आईसीयू में लंबे समय से भर्ती मरीजों को स्वस्थ रखना एक बड़ी चुनौती होती है। लगातार एक ही पहलू पर लेटे-लेटे न केवल उन्हें बेड-सोर हो जाने का खतरा होता है बल्कि पूरा शरीर शिथिल होता चला जाता है। सांस लेने की अत्यधिक धीमी गति के कारण उसके फेफड़ों और पूरे शरीर में रक्तसंचार की भी दिक्कतें आ सकती हैं। इन सभी स्थितियों का उचित प्रबंधन फिजियोथेरेपिस्ट की जिम्मेदारी होती है। Physiotherapy की और उपयोगिता में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल की फिजियोथेरेपिस्ट टीम की सदस्य डॉ आबिया खान बताती हैं कि एक अच्छा फिजियोथेरेपिस्ट मरीज को कम्फर्टेबल रखने के साथ साथ उसके अंग प्रत्यंगों का नियमित संचालन कर उसके सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखता है। उपचार या सर्जरी के बाद मरीज को सही स्थिति में विश्राम कराना, समय-समय पर करवट दिलाना और ऐसा करते समय मरीज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्णय करना जरूरी होता है। यदि किसी की क्रेनियोटॉमी हुई हो तो अत्य़धिक सावधानी बरतनी पड़ती है।
डॉ आबिया बताती हैं कि रूग्ण अवस्था में बिस्तर पर पड़े पड़े शरीर मे जकड़न, शिथिलता आ सकती है, रक्तसंचार में अवरोध उत्पन्न हो सकता है। विभिन्न तकनीकों के जरिए मांसपेशियों को सक्रिय किया जाता है। जोड़ों का व्यायाम कराया जाता है। फेफड़ों को सक्रिय रखने एवं उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए स्पारयोमेट्री का उपयोग किया जाता है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि रोगी को जल्द से जल्द अस्पताल से छुट्टी दिलाने और फिर उसे पूर्वावस्था में लौटाकर काम पर जाने योग्य बनाने में फिजियोथेरेपी की बड़ी भूमिका होती है।