दुर्ग। नैक मूल्यांकन हेतु विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय मिलकर समन्वित रूप से प्रयास करें तो अच्छे परिणाम आ सकते हैं। ये उद्गार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति, डॉ अरूणा पल्टा ने आज व्यक्त किये। डॉ पल्टा आज हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार ‘‘नैक की नई मूल्यांकन पद्धति‘‘ विषय पर आयोजित 5 दिवसीय ऑनलाईन कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित कर रही थीं।9 अप्रैल से 14 अप्रैल तक आयोजित इस कार्यशाला में प्रतिदिन लगभग 300 से अधिक प्राचार्यों, नैक समन्वयकों, आईक्यूएसी समन्वयकों तथा प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया। डॉ पल्टा ने कहा कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में उपलब्ध रिसोर्स पर्सन के अनुभव का सभी लोग लाभ उठावें। वे स्वयं नैक की विशेषज्ञ समिति की चेयरमैन रही हैं। यदि किसी महाविद्यालय को नैक के मूल्यांकन की तैयारी में कोई कठिनाई हो तो उनसे संपर्क कर सकते हैं।
डॉ पल्टा के निर्देशन में आयोजित इस पांच दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र का आरंभ विश्वविद्यालय के कुलगीत के गायन के साथ हुआ। विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में दूसरी बार यह कुलगीत प्रस्तुतिकरण हुआ। दुर्ग के रामचंद्र देवांगन, भूतपूर्व वायुसैनिक द्वारा रचित इस कुलगीत की सभी ने प्रशंसा की। अपर संचालक, उच्च शिक्षा, डॉ सुशीलचंद्र तिवारी ने कार्यशाला के आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन से जहां एक ओर महाविद्यालयों को एक ही प्लेटफार्म पर महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है वहीं दूसरी ओर उनका मनोबल भी बढ़ता है। डॉ तिवारी ने भविष्य में भी इस प्रकार की गतिविधियों के आयोजन पर बल दिया। डॉ जगजीत कौर सलूजा ने क्राइटेरिया क्रमांक 4 पर अपना आमंत्रित व्याख्यान देते हुए बताया कि महाविद्यालय में उपलब्ध संसाधनों का महत्तम उपयोग नैक की प्रथम प्राथमिकता होती है। महाविद्यालयों में शिक्षण के दौरान आईसीटी का प्रयोग, स्मार्ट क्लास रूम की स्थापना, प्रयोगशालाओं का उन्नयन, सुसज्जित ग्रंथालय की आवश्यकता पर डॉ सलूजा ने बल दिया। डॉ जगजीत ने महाविद्यालय की सेल्फ स्टडी रिपोर्ट तैयार करने में आनी वाली कठिनाइयों का भी विस्तार से उल्लेख किया
कार्यशाला के पांचो दिन हुए आमंत्रित व्याख्यान तथा उनसे संबंधित संक्षिप्त विवरण अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया। समापन सत्र का संचालन करते हुए डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि पूरे पांचों दिन उपस्थित रहने वाले प्रत्येक प्रतिभागी को दुर्ग विश्वविद्यालय सर्टिफिकेट प्रदान करेगा। प्रतिभागियों की तरफ से फीडबैक देते हुए शास. महाविद्यालय, भिलाई 3 की प्रभारी प्राचार्य डॉ अमृता कस्तूरे ने कहा कि यह कार्यशाला महाविद्यालयों के लिये मील का पत्थर सिद्ध होगी। सभी लोग काफी लाभांवित हुए। शास. दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव के प्रोफेसर महेश श्रीवास्तव ने अपने फीडबैक में कार्यशाला के आयोजन को लॉकडाउन की अवधि का सर्वोत्तम उपयोग बताया। शास. पाटणकर कन्या महाविद्यालय, दुर्ग की प्राध्यापक डॉ रिचा ठाकुर ने कहा कि महाविद्यालयों को सेल्फ स्टडी रिपोर्ट तैयार करने में आने वाली प्रत्येक कठिनाई का निराकरण इस कार्यशाला में किया गया। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन बधाई का पात्र है। स्वामी स्वरूपानंद महाविद्यालय, हुडको भिलाई की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने अपने फीडबैक में कार्यशाला को निजी महाविद्यालयों के लिये भी उपयोगी करार दिया। उन्होंने आयोजन के लिये विश्वविद्यालय प्रशासन को बधाई दी। अंत में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सी.एल. देवांगन ने किया।