भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में विश्व बाल साहित्य दिवस का आयोजन किया गया। आयोजन का उद्देश्य बाल साहित्य के महत्व को रेखांकित करना था। बाल साहित्य में रोचकता के साथ नैतिक मूल्य का भी बोध होता है। बाल साहित्य के माध्यम से बचपन से ही बच्चों में देश प्रेम, नैतिक मूल्य एवं जिम्मेदार नागरिक के गुणों का विकास किया जा सकता है। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि बाल पुस्तक और कामिक्स से सामान्य ज्ञान बढ़ने के साथ साथ कर्तव्य बोध एवं नैतिक मूल्यों का भी ज्ञान होता था।शिक्षकों ने चंदा मामा पराग, चंपक, सुमन सौरव एवं कामिक्स, मोटू-पतलू, चाचा चौधरी और साबू, पिंकी, बबलू आदि के याद को ताजा करते हुए कहा कि उस समय इन पुस्तकों एवं कामिक्स के प्रत्येक अंक का बेसब्री से इंतजार रहता था। बच्चे आपस में तय कर लेते थे कि किसके घर में कौन सी पुस्तक मंगायी जायेगी। फिर सभी उसे क्रमानुसार पढ़ते थे।
बीएड प्रथम सेमेस्टर की विद्यार्थी धलेश्वरी साहू ने पोस्टर के माध्यम से बाल साहित्य पढते हुए बच्चों का सजीव चित्रण किया, डीएलए प्रथम वर्ष की छात्र कविता बारले ने बाल साहित्य को कविता के माध्यम से व्यक्त किया। डीएलए प्रथम वर्ष की ही अंजली यादव ने बाल साहित्य के पात्र गुड़िया, नाव आदि से संबंधित यादों को पोस्टर से व्यक्त किया। बीकाम के प्रथम वर्ष के छात्र साहिल पाहुजा ने मोटू-पतलू कामिक्स के पात्रों एवं उनके संवादों को पोस्टर के माध्यम से व्यक्त किया।
एमएससी प्रथम वर्ष (माइक्रोबायोलाजी) के छात्र लुकेश कुमार ने भारत की लोक कथा निधी की काहानियों को इस दिन पढ़ते हुए कहा कि इन कहानियों को पढ़ने से अपने बचपन की यादें ताजा हो गई। बीकॉम प्रथम वर्ष की छात्रा अदिती बिरहा ने अपने मन पसंद कामिक्स डोरेमान पर कविता लिख कर एवं पोस्टर बना कर अपने विचारों को व्यक्त किया।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने बाल साहित्य दिवस के आयोजन पर कहा कि बाल साहित्य बचपन में ही विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते है तथा बाल साहित्य रोचक अंदाज में बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करते है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के छात्रों एवं प्राध्यापको ने अपनी सहभागिता दी।