दुर्ग। शा विश्वनाथ तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग और आतंरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में खुशहाली का मनोविज्ञान विषय पर विशेष आनलाइन व्याखान का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सिंह ने कहा कि वर्त्तमान परिस्थिति में खुशहाली के लिए आर्थिक सम्पन्नता के साथ यह भी जरुरी है कि व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ हो। स्वास्य्प और खुशहाली का गहरा सम्बन्ध होता है। विशेष व्याख्यान के मुख्य वक्ता जाने-माने मनोवैज्ञानिक एवं महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति डॉ गिरिश्वर मिश्र थे।प्राचार्य डॉ आरएन सिंह के आशीर्वाद एवं प्रेणना से आयोजित इस विशेष व्याख्यान में डॉ गिरिश्वर मिश्र ने खुशहाली के विभिन्न पहलुओं पर बल देते हुए भारतीय संस्कृतिए वसुधैव कुटुम्बकम और पतंजलि योग की चर्चा की। उन्होंने कहा कि खुशीहाली को परिभाषित करना कठिन है। खुशी के मायने सबके लिए अलग-अलग होते हैं। खुशी धनात्मक भाव है। जब खुशी आती है तो हर काम करने का मन करता है। दुःख में नकारात्मकता का भाव होता है। इंसान दुखी होता है तो निराश रहता है और उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लगता।
डॉ मिश्र ने विश्व खुशहाली सूचकांक की चर्चा करते हुए कहा कि इस दृष्टि से भारत बहुत पीछे है। यदि हम दुःख के कारण को समझे तो दुःख कम हो सकता है। हम दूसरों के सुख से भी दुखी होते है। हमें अपनी सोच बदलने की जरुरत है। वसुधैव कुटुम्बकम की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए दूसरों की खुशी में भी खुश रहना सीखना होगा। शिष्टाचार और मूल्यों को अपने जीवन में उतारना होगा। आप अपना ध्यान उन चीजों पर केंद्रित करे जो आपके पास है। जो नहीं है उस पर दुखी होने और उस पर ध्यान देने की जरुरत नहीं है। आने वाले दिनों में आप जो करना चाहते है उस पर ध्यान दें और आशान्वित रहें। सकारात्मक और अच्छे विचारों से आप विषम परिस्थिति में भी खुश रह सकते हैं। दिमाग और मन को शांत करने के लिए योग करें। योग करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे जीवन खुशहाल होता है।
महाविद्यालय के आतंरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की संयोजक डॉ जगजीत कौर सलूजा ने कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की। संचानल विभागाध्यक्ष डॉ रचिता श्रीवास्तव ने किया। मनोविज्ञान विभाग की प्राध्यापक डॉ प्रतिभा शर्मा ने अथिति का परिचय दिया। प्राणिशास्त्र की प्राध्यापक एवं आईक्यूएसी सदस्य डॉ संजू सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर रसायन शास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ अनुपमा अस्थाना, हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिमेष सुराना, समाज शास्त्र की प्राध्यापक डॉ सुचित्रा शर्मा एवं डॉ सपना शर्मा, माइक्रोबायोलॉजी की प्राध्यापक डॉ गुप्ता एवं डॉ नीतू दास, वनस्पति शास्त्र की प्राध्यापक डॉ विजयलक्ष्मी नायडू और प्राणिशास्त्र विभाग की प्राध्यापक डॉ मौसमी डे आदि विशेष रूप से जुड़े थे। महाविद्यालय के स्नातक एवं स्नातकोतर छात्र-छात्राओं ने अपनी भागीदरी सुनिश्चित की।