भिलाई। वरिष्ठ शिक्षाविद प्रो हरिनारायण दुबे ने कहा है कि बुजुर्गों को देखभाल की जरूरत तो है ही, उससे भी कहीं ज्यादा जरूरी है उनके प्रति थोड़ा सा प्यार और थोड़ी सी परवाह। वे “वरिष्ठ नागरिक और हमारा सामाजिक दायित्व” पर आयोजित संगोष्ठि में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इसका आयोजन संधान संस्थान एवं कुटुम्ब समूह के द्वारा संयुक्त रूप से होटल वेजी इंडिया में किया गया था।
कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं एमजे कालेज के पूर्व प्राचार्य तथा पं. सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय के पूर्व क्षेत्रीय प्रमुख प्रो. हरिनारायण दुबे ने कहा कि आज हम जो कुछ भी हैं अपने माता-पिता के त्याग और तपस्या की वजह से हैं। यदि बचपन में उन्होंने हमें अपने हाल पर छोड़ दिया होता, तो हमें कुत्ते नोंचकर खा गए होते। पर उन्होंने अपना सर्वस्व दांव पर लगा कर हमें पाल पोसकर इस लायक बनाया कि आज हम अपने पैरों पर खड़े हैं। फिर घमण्ड किस बात का?
पद्मश्री फुलबासन बाई यादव के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देना ही दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है। इसीसे सुख और संतुष्टि मिल सकती है। प्रकृति के सभी अंग और उपांग हमें यही संदेश देते हैं। सूर्य और धरती की तरह हमारे माता पिता भी हमें सिर्फ देते ही हैं। इसलिए जब लौटाने का वक्त आए तो कंजूसी नहीं करनी चाहिए। हमें उनके साथ कुछ वक्त बिताने की कोशिश करनी चाहिए। उनके पास बैठें, उनसे बातें करें। उनसे सलाह मशविरा करें ताकि वे महसूस कर सकें कि वे आज भी परिवार का हिस्सा हैं। उन्हें सिर्फ इतना ही चाहिए।
आरंभ में स्वागत भाषण संधान के प्रो. देवेन्द्र नाथ शर्मा ने दिया। संचालन प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ अनिता सावंत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कुटुम्ब के मुखिया शायर मुमताज ने किया। इस अवसर पर अवकाश प्राप्त पुलिस अधिकारी वीरेन्द्र सतपथी, समाज शास्त्री डॉ अंजना श्रीवास्तव, काउंसलर डॉ आभा शशिकुमार, रवि श्रीवास्तव, विनोद साव, डा.एच.आर.वार्षणेय, डा.अशोक गणवीर, दीपक रंजन दास, भावना पाण्डेय, अरविंद सिंह, राजेंद्र सोनबोईर, विद्या गुप्ता, संजय दीवान, ई.वी.मुरली, राघवेंद्र सिंह, अनिता करडेकर, प्रदीप भट्टाचार्य, ऋषि गजपाल, शंकर चरण पाण्डेय, पोलम्मा, महेश चतुर्वेदी, राजेश प्रजापति, राहुल पटेल, सुमीत ताम्रकार, रफीक, वीरेंद्र पाण्डेय आदि अनेक प्रबुद्धजन मौजूद थे।