एक विमान हादसे ने देश से उसका पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ छीन लिया। इस हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत, उनकी पत्नी मधूलिका रावत समेत 13 लोगों ने दम तोड़ दिया। इसमें कई युवा सैन्य अफसर भी थे। जनरल रावत को सैनिक जीवन विरासत में मिली थी। उन्होंने उसी यूनिट (11 गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन) से 1978 में अपना करियर शुरू किया था जहां उनके पिता तैनात थे। उनके पिता ने लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर रहते हुए अवकाश प्राप्त किया था। जनरल बिपिन रावत एक ऐसे पराक्रमी योद्धा थे जिनसे चीन और पाकिस्तान तक थर्राते थे।
जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल का अधिकांश हिस्सा कठिन सामरिक क्षेत्रों में पूरा किया था। जम्मू-कश्मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट के राज्यों तक में वे रहे। एलएसी, एलओसी पर रहे। इसी कारण उन्हें बहुत लंबा ऑपरेशनल एक्सपीरियंस था। उनके अनुभव और कार्यक्षमता को देखते हुए ही उन्हें दो साल पहले देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया था। जनरल रावत को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मंडल, सेना मेडल आदि सम्मानों से नवाजा गया था।
जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चौहान राजपूत परिवार में हुआ। उनकी माताजी परमार वंश से थीं। इनके पूर्वज हरिद्वार जिले के मायापुर से आकर गढ़वाल के परसई गांव में बसे थे, जिस कारण परसारा रावत कहलाए। दरअसल, रावत एक मिलिट्री टाइटल है जो राजपूतों को गढ़वाल के शासकों ने दिया था। इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए।
रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से शिक्षा ली। यहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। वे फोर्ट लीवनवर्थ, अमेरिका में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के ग्रेजुएट भी रहे। उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस स्टडीज में एमफिल, मैनेजमेंट में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया। 2011 में, उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ की ओर से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया।
जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर 2016 को थलसेना प्रमुख बने। 2019 में उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया था। वे 65 साल की उम्र तक इस पद पर रहने वाले थे। इस पद को बनाने का मकसद यह है कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सही तरीके से और इफेक्टिव कोऑर्डिनेशन किया जा सके।
करियर ग्राफ
• ब्रिगेड कमांडर
• जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (GOC-C) सदर्न कमांड
• जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट
• कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी एंड डिप्टी मिलिट्री सेक्रेटरी
• सीनियर इंस्ट्रक्टर इन जूनियर कमांड विंग
• कमांडर यूनाइटेड नेशन्स पीसकीपिंग फोर्स मल्टीनेशनल ब्रिगेड
• वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ
• आर्मी चीफ
• चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
(यह जानकारी विभिन्न ऑनलाइन कंटेन्ट सोर्स से संकलित की गई है। फोटो दैनिक सन्मार्ग से साभार)