भिलाई। संक्रामक बीमारियों से लोगों को बचाने में जितना हाथ मास्क, सैनेटाइजर, दवा या सोशल डिस्टेंसिंग का है, उससे कहीं बड़ी भूमिका लोगों की अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता की है। जड़ी-बूटियों, तरी-तरकारियों और मसालों के इस देश में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के सभी उपाय मौजूद हैं। छत्तीसगढ़ ने इसी का सहारा लिया है। महिला स्व-सहायता समूह एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इसे एक अभियान के रूप में आगे बढ़ा रही हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग की मदद से नारायणपुर समेत राज्य के अधिकांश जिलों में महिलाओं ने पोषण वाटिका तैयार की है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की मदद से तैयार की गई इन पोषण वाटिकाओं में तरह-तरह की सब्जी-भाजी उगाई जा रही है। इनमें पालक, मेथी, चौलाई, लाल भाजी, प्याज भाजी, हरी मिर्च, धनिया, फूलगोभी, पत्तागोभी, गांठ गोभी, सेमी, गाजर, मूली, पपीता, केला, नींबू आदि उगाई जा रही है। विशेषकर रायपुर के आरंग विकासखण्ड के भानसोज की गणेश स्वसहायता समूह को इसमें बड़ी सफलता मिली है।
इसी तरह नारायणपुर जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों से ताजी, हरी-भरी और पोषक से भरपूर सब्जियां उपलब्ध हो रही है। पोषण वाटिका से गर्भवती महिलाओं एवं कुपोषित बच्चो की सेहत में सुधार लाने के प्रयास किये जा रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण काल में आंगनबाड़ी केन्द्रों को तो बंद रखा गया पर हितग्राहियों को सामग्री आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने उनके घर पहुंचाकर दिया। नारायणपुर जिले में 273 आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका तैयार किया जा चुका है।
पोषण अभियान अंतर्गत महिला एवं बाल विकास परियोजना के अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों के मार्गदर्शन में पोषण वाटिकाओं का निर्माण किया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में निरीक्षण के दौरान महसूस हुआ कि नियमित हरी ,ताजी सब्जी न मिल पाने के कारण पोषण में कमी आ रही है। जिसके उपरांत गरम भोजन तैयार करने वाले समूह, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं से चर्चा कर पोषण वाटिका विकसित करने का निर्णय लिया।
इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रो में जिनके घर में पर्याप्त पानी और जगह की सुविधा थी, वहां पोषण वाटिका तैयार की गई। जहां पारिवारिक श्रम से कम लागत में मौसमी हरी सब्जी और भाजी का उत्पादन किया जा रहा है और उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित कर बच्चों और गर्भवती माताओं को लाभान्वित किया जायेगा। पोषण वाटिका में मैथी भाजी, खट्टा भाजी, लाल भाजी ,प्याज भाजी, मिर्ची, धनिया पत्ती, लौकी, भिंडी, बरबट्टी, भाटा, सेमी, पपीता, केला, नीबू, और टमाटर आदि लगाया है।
इन सब्जियों का उत्पादन रासायनिक उर्वरकों की बजाय वर्मी कम्पोस्ट और जैविक खाद से किया जा रहा है। इससे सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं। पोषण वाटिका बनाने का उद्देश्य बच्चों और गर्भवती माताओं में एनीमिया और कुपोषण को दूर करना है जिससे कुपोषण मुक्त एवं स्वास्थ्य छत्तीसगढ़ की संकल्पना को साकार किया जा सके, साथ ही समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ किया जा सके।