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हाइटेक में हाईरिस्क एंजियोप्लास्टी, कई बार रुकी धड़कन

Feb 2, 2022
High Risk Angioplasty in Hitek Hospital

भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग को एक 81 वर्षीय बुजुर्ग का जीवन बचाने में सफलता मिली है। अत्यन्त चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उनकी एंजियोग्राफी की गई जिसमें चार प्रमुख नसों में 90 से लेकर 100 फीसदी तक ब्लाकेज मिला। तत्काल उनकी एंजियोप्लास्टी की गई। चार दिन की जद्दोजहद के बाद मरीज का स्वास्थ्य सुधरने लगा और 15 दिन बाद अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।

The Cardiac Team of Hitek Hospital

हाईटेक के इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आकाश बख्शी ने बताया कि मरीज दिल की समस्या के साथ पिछले साल अगस्त में अस्पताल आया था। उनका इलाज किसी और अस्पताल में चल रहा था जहां स्थिति बिगड़ती जा रही थी। मरीज ने बताया था कि दो साल पहले उन्हें पेसमेकर लगाया गया है। बहरहाल उस समय औषधि से उनकी स्थिति 2-4 दिन में ही काबू में आ गई थी। सितम्बर में मरीज दोबारा अस्पताल पहुंचा। मरीज की ईसीजी की गई। संदेह होने पर उसे एंजियो की सलाह दी गई थी। परिवार में वैवाहिक कार्यक्रम के चलते मरीज ने जनवरी में एंजियो कराने की सहमति दी।
15 जनवरी को मरीज को हाइटेक लाया गया। सीने में दर्द के साथ ही उनकी सांस उखड़ रही थी। मरीज अर्धचेतन अवस्था में था। उसे तत्काल वेन्टीलेटर पर ले लिया गया। जांच करने पर क्रिएटिनाइन 1.9 तक बढ़ा हुआ मिला। ऑक्सीजन सैचुरेशन 65 से 75 के बीच ऊपर नीचे आ रहा था। एंजियो करने से पहले मरीज को स्टेबिलाइज करने की कोशिश की गई पर रविवार को फिर से उसकी हालत बिगड़ने लगी।
गुरुवार 20 जनवरी को मरीज को वीटी (वेन्ट्रीकुलर टैकीकार्डिया) का दौरा पड़ा। बिजली के झटके देकर धड़कनों को संभाला गया। क्रिएटिनाइन अब भी बढ़ा हुआ था। पर अब इंतजार करना खतरनाक हो सकता था। इसलिए मरीज के परिजनों से हाईरिस्क कन्सेंट लिया गया और वेन्टीलेटर पर रखते हुए ही उनका एंजियो करने का फैसला लिया गया।
एंजियो करने पर मरीज की बाईं ओर की मुख्य धमनी 90 फीसद ब्लाक मिली। दिल की सामने की ओर ऊपर से नीचे जाती धमनी भी 90 फीसद ब्लाक थी। एलसीएक्स (दिल के निचले हिस्से को रक्त पहुंचाने वाली नसें) लगभग 70 फीसद ब्लाक थी। दाईं ओर की धमनी में 100 ब्लाकेज था। यह एक गंभीर स्थिति थी। आम तौर पर ऐसी स्थिति में बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है पर मरीज की उम्र और स्थिति को देखते हुए ऐसा करना संभव नहीं था। मरीज की एंजियोप्लास्टी कर दी गई। कुल पांच स्टेन्ट लगाने पड़े।
डॉ बख्शी ने बताया कि एंजियोप्लास्टी करने के दौरान भी मरीज को वीटी का दौरा पड़ा पर शॉक देकर उसे संभाल लिया गया। प्रोसीजर के बाद आईसीयू में मरीज को एक बार फिर वीटी का दौरा पड़ा पर एक बार फिर धड़कनों को वापस शुरू करने में उनकी टीम सफल रही। इसके बाद मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार होता चला गया। क्रिएटिनाइन भी काबू में आ गया। तीन दिन बाद मरीज उठकर बैठ गया।
प्रोसीजर के 12 दिन बाद मरीज की स्थिति काफी अच्छी है। अब वह चलने फिरने में भी सक्षम हो गया है तथा कुछ ही दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी दी दी जाएगी। डॉ बख्शी ने बताया कि इस केस को उनकी टीम ने एक चुनौती की तरह लिया था और उन्हें खुशी है कि वे बुजुर्गवार को दोबारा उनके पैरों पर खड़ा करने में सफल रहे।

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