कोरबा। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कोरवा और बिरहोर जनजाति का एक भी युवा अब बेरोजागर नहीं रहेंगे। शासन ने इन्हें तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर पदस्थ करने का निर्णय लिया है। जिले में पांचवी से स्नातकोत्तर तक पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या 322 है। इससे पहले इन्हें लाइवलिहुड कालेजों में प्रशिक्षित कर नौकरियां दिलाई गई थीं पर इन्हें वो नौकरियां रास नहीं आईं। इसलिए अब नए सिरे से प्रयास किये जा रहे हैं।
कभी पहाड़ों पर रहने वाले इन विशेष पिछड़ी जन जाति के लोगों को मैदानी क्षेत्र में लाने के बाद भी उनके रहन सहन में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। हालांकि, कुछ परिवारों में शिक्षा को लेकर जागरूकता आई है, लेकिन बेरोजगारी की समस्या जस की तस है। पाली, पोड़ी उपरोड़ा, कोरबा और करतला के 68 ग्राम पंचायतों में कोरवा व बिरहोर जनजाति के लोग निवासरत हैं। आदिवासी विकास विभाग के सर्वे के अनुसार इनकी जनसंख्या चार हजार 934 है। आदिवासी जिला होने के लिहाज से जिले के सभी 412 ग्राम पंचायत आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है लेकिन एक भी पंचायत में कोरवा या बिरहोर सरंपच नहीं हैं।
शासन ने अब पांचवीं से स्नातकोत्तर तक अध्ययनरत युवाओं को जिले के रिक्त तृतीय और चतुर्थ वर्ग श्रेणी पदों पर भर्ती करने का निर्णय लिया। इस बार प्रशासन की पहल से शिक्षित युवाओं से आवेदन लेकर उनकी भर्ती की जाएगी। इसके लिए जिले में शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग, उद्योग आदि विभागों से जुड़े अधिकारियों के नेतृत्व में टीम गठित की गई है। बताना होगा कि दूधीटांगर निवासी बीएससी उत्तीर्ण ममता कोरवा अपने गांव की महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए समूह बना कर खेती के लिए प्रेरित कर रही है।
Pic Credit : Naidunia