भिलाई। हरेली त्योहार के उपलक्ष्य में स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत “एक देश, एक भाषा, एक पहचान हमारी” भावना पर आधारित जातिगत भेदभाव निवारण समिति एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में विषय एक भाषा, एक सांझा चूल्हा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके पीछे यह धारणा थी कि सभी मिलजुलकर त्योहार मनाने से राष्ट्रीय एकता एवं सौहार्द्र स्थापित होता है।
छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार पर कृषक अपने हल, नागर, औजार की पूजा करते है तथा गाय एवं बैलों की पूजा कर भोग लगाते है एवं उनके स्वास्थ्य एवं लम्बी उम्र की कामना करते है जिससे उनका जीवन हरियाली एवं समृद्धि से भरा हुआ हो। इस अवसर पर कड़वे नीम के पत्तों को भी घर-घर में दरवाजों के दोनों ओर लगाया जाता है। जिससे कि बीमारियों एवं रोग दूर भागे। इस प्रकार त्योहार का उत्सव मनाने से हम अपने पर्यावरण एवं वातावरण को स्वच्छ एवं हरियाली युक्त बनाने में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने कहा महाविद्यालय में इस तरह के आयोजन होते रहने से विद्यार्थी अपनी संस्कृति से अवगत होते है। युवा ही सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षक है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता को जागृत करते है। इस प्रकार हम अपने छत्तीसगढ़ राज्य के त्योहारों एवं संस्कृति को अपना पायेंगे।
उपप्राचार्य डॉ. अज़रा हुसेन ने विविधता में एकता भारत की पहचान है इसी को मद्देनजर रखते हुए हरेली उत्सव के माध्यम से हम अपनी स्थानीय संस्कृति व पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते है इससे संस्कृति का हस्तांतरण कर सकेंगे।
इस अवसर पर हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुनीता वर्मा ने सांझाा चूल्हा के अंतर्गत पकवान गुलगुला भजिया बनाकर कार्यक्रम की शुरुआत की वह कहा इससे विद्यार्थी छत्तीसगढ़ के त्योहार हरेली के महत्व, परंपरा एवं संस्कृति को जान सकेंगे।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त विद्यार्थी, प्राध्यापक एवं अशैक्षणिक स्टॉफ सम्मिलित हुये एवं प्रसन्नतापूर्वक हरेली उत्सव मनाया गया।