कांकेर. घने जंगलों से घिरे एक वनग्राम की गलियों में दुर्लभ प्राणी हनी-बैजर दिखा है. दशकों पहले इसे विलुप्त मान लिया गया था। यह एक बेहद चालाक प्राणी है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह इंसानों की तरह सोचता है. बड़े सख्त नाखून और पैने दांतों से लैस हनी बैजर से शेर भी घबराता है. गिनीज बुक ने इसे दुनिया का सबसे निर्भीक और बुद्धिमान प्राणी माना है. वैसे तो यह मिट्टी खोदकर सुरंग बनाने में सक्षम है पर आम तौर पर लोमड़ी और गीदड़ों को भगाकर उनकी गुफाओं पर कब्जा जमा लेता है.
जंगलों से घिरे कांकेर शहर के दुधावा वन परिक्षेत्र में हनी-बेजर को ग्राम कोटलभट्ठी की सड़कों पर घूमते देखा गया. गांव वालों की सूचना पर वन विभाग के अमले ने उसे पकड़ लिया. कोटलभट्टी के वनों का क्षेत्र कांकेर, कोंडागांव और धमतरी जिला के भीतर आता है। इस इलाके के समीप सीतानदी अभ्यारण्य है। माना जा रहा है कि हनी-बैजर वहीं से भटकते हुए पहुंचा होगा।
कबर-बिज्जू की प्रजाति वाले इस जीव की तादाद डेढ़ दशक में काफी गति से कम होने लगीं है. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हनी-बैजर मस्टेलिडाए कुल और मेलिवोरा कैपेन्सिस प्रजाति का स्तनपायी जीव है. खाल और फर के लिए कभी इसका खूब शिकार किया जाता था. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसे मोस्ट फियरलेस क्रीचर के रूप में दर्ज किया गया है.
निर्भीक और खूंखार होने के साथ ही हनी-बैजर बेहद बुद्धिमान होता है. कमरे की कुंडी खोलने से लेकर दीवार पर चढ़कर भाग निकलने में इसकी कोई सानी नहीं है. यह जमीन में सुरंग बना सकता है. यह एक यायावर प्राणी है जो कभी अपना घर नहीं बनाता. मौसम खराब होने पर लोमड़ी या गीदड़ के ठिकानों पर कब्जा कर लेता है. इसकी औसत आयु 15 से 20 वर्ष होती है.