दंतेवाड़ा। छत्तीोसगढ़ के दंतेवाड़ा जिला स्थित बैलाडीला की पहाड़ियों में एक दुर्लभ हिरण मिला है। यह दुनिया की सबसे छोटी प्रजाति का हिरण है जिसे गोंडी भाषा में तुरें कहा जाता है। यह हिरण भटककर बचेली के सुभाष नगर में आ गया था। सूचना पर वन विभाग ने उसे वापस जंगलों में पहुंचा दिया। इंडियन माउस डियर का वैज्ञानिक नाम मोसियोला इंडिका है। ये विश्व की सबसे छोटी हिरण की प्रजाति मानी जाती है। इसकी लंबाई 575 सेंटीमीटर होती हैं और वजन 3 किलोग्राम के आस पास होता है।
बचेली वन परिक्षेत्र अधिकारी 5 आशुतोष मांडवा डिप्टी रेंजर अघन श्याम भगत, बीट ऑफिसर राजेश कर्मा सहित वन कर्मी के साथ पहुंचे और इस जीव को कार्यालय ले गए। वन परिक्षेत्र अधिकारी आशुतोष मांडवा ने बताया कि उच्च अधिकारियों के निर्देश के अनुसार रायपुर जंगल सफारी के पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर बचेली के पशु चिकित्सक से इस जीव की जांच करवाई गई। पशुचिकित्सक से उसका उपचार करवा के ठीक होने पर उसे जंगलो में फिर से छोड़ दिया गया है।
बैलाडीला की पहाड़ी काफी घने जंगलों वाली पहाड़ी है, जहां वन विभाग द्वारा इनके पीने के पानी के लिए तालाब निर्माण भी करवाए गए हैं। बैलाडीला की पहाड़ी करीब 20 किलोमीटर से भी अधिक लंबी है, जो जंगली जनवरों के लिए सुरक्षित माना जाता है। बचेली के सुभाष नगर के पास भी बैलाडीला की पहाड़ियों से ही नीचे उतरा था। हालांकि इससे पहले इतना छोटा हिरण बैलाडीला में कभी नहीं देखा गया। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया माचकोट,कोलेंग के जंगलों में भी दुर्लभ प्रजाति के सांप और दूसरे जंगली जानवर मौजूद है। डीएफओ दंतेवाड़ा संदीप बलगा ने बताया कि बड़ी खुशी की बात है कि दंतेवाड़ा के बैलाडीला की पहाड़ियों में सबसे छोटा हिरण देखने को मिला और भी हिरण हो सकते है, जिनकी निगरानी रखी जाएगी।